प्रो. शर्मा ने कहा कि दुनिया के द्रुतगामी विकास के मॉडल ने मानवता को 360 डिग्री वाले भूमंडलीकृत चुनौतियों के मंच पर लाकर खड़ा कर दिया है। आज हम केवल 180-डिग्री फ्रॉंटेंड यानी सिर्फ भविष्य की तरफ देख रहे हैं। हम इससे बेखबर हैं कि विज्ञान के विकास में हमनें 180 डिग्री वाले बैकेंड यानी भूतकाल में मानवता के लिए क्या-क्या चुनौतियां पैदा की हैं। विकास में अतिवादिता अनियंत्रित होकर कहीं संपूर्ण मानव सभ्यता को ही तहस-नहस ना कर दें।
खतरनाक मोड़ ले सकता है एआई डॉ. शर्मा ने बताया कि इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन एप्लीकेशंस एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास का यह मॉडल मानव सभ्यता एवं उसके रोजगार को चुनौती देने लगा है। आने वाले समय में बहुआयामी खतरनाक मोड़ ले सकता है। कोई शक नहीं कि एआई, बिग डाटा टेक्नोलॉजी, रोबोटाइजेशन, इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन, एवं डिजिटलाइजेशन के तेजी से विकास ने सुविधाएं पैदा की हैं। लेकिन इंकार नहीं कर सकते है कि हमनें चुनौतियों के अंबार भी पैदा किए हैं।
कम करने होंगे दुष्प्रभाव शर्मा ने कहा कि मैं आईटी साइंटिस्ट हूं। मुझे इसकी वकालत करनी चाहिए। फिर भी कहूंगा कि इसके अतार्किक कुचक्रों के सामने आत्मसमर्पण ना करेंं दूरगामी और द्रुतगामी दुष्प्रभाव को कम करें। मैं इसके बहुआयामी खतरे से उठने वाले धुएं को बहुत अच्छी तरीके से देख पा रहा हूं। आज हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकियों की हमारी मौजूदा प्रणालियों को पुनर्व्यवस्थित, पुनर्डिजाइन, पुनर्मूल्यांकन और पुनर्गठित करने की आवश्यकता है।