अदालत ने गिरोह बनाकर दुष्कर्म करने के 376 डी के मामले में आसाराम के चार सेवादारो में से शरत चन्द्र ,शिल्पी को भी दोषी माना है जबकि प्रकाश तथा शिवा को दोष मुक्त कर दिया । इनमें से प्रकाश को छोड़कर शेष सभी जमानत पर थे। प्रकाश ने जेल में आसाराम की सेवा करने के लिए जमानत नही ली थी।
अदालत के फैसले के दौरान लाल टोपी पहने आसाराम चिर परिचित सफेद पोशाक में अपने भाग्य का फैसला सुनने के लिए मौजूद थे। शहर में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जोधपुर शहर तथा खास कर जेल के बाहर बडी संख्या में पुलिस बल मौजूद था । आसाराम के आश्रम को कल ही खाली करा लिया गया था तथा बाहर से आने वालों पर कडी निगरानी रखी जा रही थी ।
कड़ी निगरानी के कारण ही आज गुजरात से आए आसाराम के दस समर्थक पुलिस से बच नहीं सके । इनमें से एक समर्थक माला लेकर जेल के मुख्य द्वार तक पहुंच गया था। अगस्त 2013 से चले मुकदमे में पीड़िता अपने बयान से डिगी नही । इस मामले में अभियोजन पक्ष के समर्थन में बयान देने वाले कृपाल सिंह को मार डाला गया । इस दौरान कई गवाहों का अपहरण कर हत्या करने के भी आरोप लगाए गए।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश की शांहजहापुर की एक नाबालिग ने आसाराम पर जोधपुर के आश्रम में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। वह छिन्दवाडा के गुरूकुल में पढ़ती थी तथा उसे दौरे पड़ने के नाम पर शिक्षिका ने उसे 13 अगस्त 2013 को जोधपुर के मणाई आश्रम में भेजा गया जहां दो दिन बाद रात्रि दस बजे आसाराम ने उसका यौन शोषण किया । उस समय पीडिता की उम्र 16 वर्ष थी ।
उसने दिल्ली के कमला मार्केट थाने में यह मामला दर्ज कराया था जिसे बाद में जोधपुर पुलिस को स्थानान्तरित कर दियागया । पीड़िता के पिता भी आसाराम के भक्त थे । आसाराम पर पोक्सो अधिनियम और जुनाईल एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था । पुलिस ने आसाराम को 31 अगस्त 2013 में मध्यप्रदेश के इंदौर के आश्रम से गिरफ्तार किया था तब से वह जोधपुर के केन्द्रीय जेल में है।
आसाराम ने निचले अदालत से लेकर उच्चतम न्यायालय तक 11 बार जमानत लेने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस मामले में आसाराम की ओर से कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल , वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी तथा सुब्रमण्यम स्वामी ने भी पैरवी की, लेकिन आसाराम को नहीं बचा पाए ।