गहलोत ने कहा कि हॉर्स ट्रेडिंग का काम तो भारतीय जनता पार्टी कर रही है। मध्यप्रदेश में विधायकों को 15 से 20 करोड़ रुपए आॅफर किए जा रहे हैं। कर्नाटक और गोवा में भाजपा ने हॉर्स ट्रेडिंग की। इस दौरान दौरान निकाय चुनाव में फायदे को लेकर गहलोत ने कहा कि यह सब जनता के मूड पर निर्भर करेगा।
बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती की प्रतिक्रिया पर गहलोत ने कहा कि मायावतीजी ने जो कहा है, मैं समझता हूं उनका ऐसा रिएक्शन स्वाभाविक है। लेकिन उन्हें ये भी समझना चाहिए कि विकास के लिए सरकार के साथ जुड़कर विकास करवा सकते हैं। ये सोचकर ही बसपा विधायकों ने यह बड़ा फैसला लिया है।
मायावती ने कहा कि यह धोखा है। बीएसपी मूवमेंट के साथ ऐसा विश्वासघात दोबारा तब किया गया है। जब बीएसपी वहां कांग्रेस सरकार को बाहर से बिना शर्त समर्थन दे रही थी। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब प्रदेश में बसपा विधायकों का कांग्रेस में विलय हुआ हो। 2008 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी। उस समय गुढ़ा सहित 6 विधायक बसपा के टिकट पर विधानसभा में पहुंचे थे। गहलोत ने उस दौरान बसपा विधायक दल का कांग्रेस में विलय कराते हुए सभी 6 विधायकों को मंत्री बनाया था।
बसपा विधायकों ने पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की फिर बाद में विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी को विलय का पत्र दिया। जोशी ने विलय की मंजूरी दे दी। बसपा विधायकों में उदयुपरवाटी से राजेन्द्र गुढ़ा, नदबई से जोगिंदर अवाना, करौली से लाखन सिंह, किशन बास से दीपचंद खेरिया, तिजारा से संदीप यादव तथा नगर से वाजिब अली शामिल हैं। पहले यह विधायक कांग्रेस को बाहर से समर्थन दे रहे थे। बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने का बसपा प्रदेशाध्यक्ष सीताराम और प्रदेश प्रभारी धर्मवीर अशोक काे देर रात तक पता ही नहीं चल पाया।
बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने पर अब कांग्रेस विधायकों की संख्या 106 हो गई है। बसपा विधायकाें केे कांग्रेस में विलय के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्य की राजनीति में काफी मजबूत हाे गए हैं। इसका फायदा दो विधानसभा क्षेत्रों में उपचुुनाव तथा निकाय चुनाव में कांग्रेस को मिल सकता है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने स्पष्ट किया है कि बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय पर किसी प्रकार की अड़चन नहीं है।