केरल में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए गहलोत ने कहा, मैंने राहुल गांधी से कई बार बात करने की कोशिश की कि उन्हें अध्यक्ष बनना चाहिए। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भी यही प्रस्ताव पास किया है, लेकिन उन्होंने इसके लिए मना कर दिया और कहा है कि इस बार गांधी परिवार का कोई भी व्यक्ति कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेगा।
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गहलोत ने कहा, यह तय है कि मैं कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ूगा। मैं जल्द ही नामांकन दाखिल करने के लिए तारीख तय करूंगा। उन्होंने कहा, देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए विपक्ष को मजबूत करने की जरूरत है।
राहुल का बयान, गहलोत का यू-टर्न
कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की दौड़ में सबसे आगे चल रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सुर गुरुवार को ही तब अचानक से बदले-बदले से दिखे थे जब राहुल गांधी का ‘एक व्यक्ति, एक पद’ फॉर्मूले पर कायम रहने का बयान सामने आया। वहीं राहुल को मनाने के गहलोत के प्रयास भी फेल साबित हुए।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केरल में मीडिया से बातचीत में संकेत दे दिए थे कि अगर वे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो फिर मुख्यमंत्री का पद छोड़ेगे क्योंकि संवैधानिक पद पर बैठा हुआ व्यक्ति पार्टी के प्रमुख पद पर नहीं रह सकता है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक नेशनल चैनल को दिए इंटरव्यू में भी साफ कहा कि ऐसा कभी नहीं हुआ कि कोई मुख्यमंत्री पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बना हो।
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पहले बोले, ‘दोनों ज़िम्मेदारियाँ संभाल सकते हैं’
केरल में राहुल गांधी से मुलाक़ात से पहले सीएम अशोक गहलोत ने नई दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाक़ात की थी। करीब 2 घंटे तक चली मुलाकात में भी बताया गया कि सोनिया गांधी ने ‘एक व्यक्ति एक पद’ सिद्धांत पर ही टिके रहने की बात कही।
सोनिया गांधी से मुलाक़ात के बाद मुख्यमंत्री के सुर बदल गए थे और उन्होंने यहां तक कह दिया था कि वो राहुल गांधी के साथ देश भर के दौरे करेंगे और कांग्रेस को मजबूत करने का काम करेंगे। जबकि सोनिया गांधी से मुलाकात से पहले मुख्यमंत्री अशोक लगातार मीडिया में भी बयान देते आए थे कि वह राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री दोनों के पद संभालेंगे। जयपुर में भी मुख्यमंत्री कई बार इस बात को दोहरा चुके थे कि राजस्थान में मुख्यमंत्री के पद पर कोई कंप्रोमाइज नहीं होगा।
गहलोत नहीं तो कौन होगा मुख्यमंत्री?
कांग्रेस के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि अगर अशोक गहलोत मुख्यमंत्री का पद छोड़ते हैं तो फिर उनकी जगह किस की ताजपोशी होगी। पार्टी का एक धड़ा जहां सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के तौर पर देख रहा है तो पार्टी का दूसरा धड़ा चाहता है कि गहलोत समर्थकों में से ही किसी को मुख्यमंत्री बनाया जाए।
कांग्रेस हलकों में चर्चा इस बात की है कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनने से रोकने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अपने किसी विश्वस्त को ही मुख्यमंत्री बनवाना चाहते हैं।
चर्चा यह भी है कि पार्टी के परंपरागत वोट बैंक आने वाली जातियों से ही मुख्यमंत्री का चेहरा सामने आएगा। हालांकि पूरी तस्वीर 30 सितंबर के बाद ही साफ हो पाएगी कि अशोक गहलोत अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित होते हैं तो फिर राजस्थान की कमान किसके हाथों में होगी।