सरकार के ‘अड़ियल’ रुख को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सुप्रीम कोर्ट से जबकि सांसद हनुमान बेनीवाल ने राष्ट्रपति से इस गतिरोध को ख़त्म करने की अपील की है। इससे पहले तक ये दोनों नेता केंद्र सरकार से कृषि कानून वापस लिए जाने की मांग करते रहे हैं। लेकिन अब केंद्र की जगह राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सर्द मौसम के बीच किसानों के लम्बे चल रहे आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट इन नए कृषि कानूनों को रद्द करने का फैसला सुना दे तो किसानों का आंदोलन भी तुरंत समाप्त हो सकता है। गहलोत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को किसानों के हित में संज्ञान लेकर उन्हें न्याय दिलाना चाहिए। किसान 42 दिन से अपना घर छोड़कर ठंड और बारिश में बैठे हुए हैं। अब तक 50 किसानों की मौत इस आंदोलन में हो चुकी है।
सीएम गहलोत ने ये भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस सेंट्रल विस्टा प्रॉजेक्ट को मंजूरी दी है, उसे कोरोना महामारी के कारण बने आर्थिक संकट के माहौल में टाला जा सकता था। उन्होंने कहा कि 18 दिसंबर को किसानों के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कृषि कानूनों को टालने पर विचार करने को कहा था।
इधर, सांसद को राष्ट्रपति से आस
रालोपा सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी केंद्र सरकार के रुख को देखते हुए अब राष्ट्रपति से गतिरोध ख़त्म करने की आस लगाई है। उन्होंने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की अपील करते हुए कहा देश का अन्नदाता सड़कों पर आंदोलित है, केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि बिलों की वापसी और एमएसपी को लेकर किसानों की मांग जायज है। सांसद ने राष्ट्रपति को जल्द से जल्द केंद्र को निर्देशित कर अन्नदाताओं को राहत प्रदान करने की अपील की।