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जयपुर

शहराें में अवैध निर्माणाें की बाढ़, अकर्मण्य शहरी निकाय

शहरों में लगातार हो रहे अवैध निर्माणों को लेकर अशाेक गहलाेत ( Ashok Gehlot ) सरकार ने सख्त नाराजगी जताई है। एलएसजी ने सभी निकायों इस मामले में अकर्मण्य बताकर अवैध निर्माणों ( Illigal Construction ) पर सख्त कार्रवाई करने के लिए परिपत्र लिखा है। परिपत्र में स्थानीय निकायों को राजस्थान पत्रिका ( Rajasthan Patrika ) के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी बनाम राज्य सरकार और अन्य में उच्च न्यायालय ( High Court ) की ओर से दिए गए निर्देशों की पालना करने के निर्देश दिए गए हैं।

जयपुरJul 22, 2019 / 07:20 pm

Umesh Sharma

Local Self Government

शहराें में अवैध निर्माणाें की बाढ़, अकर्मण्य शहरी निकाय


प्रदेश के शहरों में लगातार हो रहे अवैध निर्माणों को लेकर अशाेक गहलाेत ( Ashok Gehlot ) राज्य सरकार ने सख्त नाराजगी जताई है। एलएसजी ने सभी निकायों इस मामले में अकर्मण्य बताकर अवैध निर्माणों पर सख्त कार्रवाई करने के लिए परिपत्र लिखा है। परिपत्र में स्थानीय निकायों को राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी बनाम राज्य सरकार और अन्य में उच्च न्यायालय की ओर से दिए गए निर्देशों की पालना करने के निर्देश दिए गए हैं।

एलएसजी की ओर से जारी परिपत्र में लिखा गया है कि निकायों की अकर्मण्यता के चलते आवासीय कॉलोनियों में व्यावसायिक निर्माण हो रहे हैं। शून्य सेटबैक के साथ-साथ सड़कों पर अतिक्रमण हो रहा है, जिससे आमजन की स्वच्छ हवा, स्वच्छ वातावरण, स्वच्छ आवागमन और स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है। इससे आमजन को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

औचित्यहीन हो रहे हैं भवन विनियम
परिपत्र में लिखा गया है कि इन अवैध निर्माणों और अतिक्रमणों की वजह से भवन विनियम औचित्यहीन हो जाते हैं और शहर के सुनियोजित विकास में अवरोध उत्पन्न होता है। इससे मूलभूत सुविधाओं से नागरिकों को वंचित होना पड़ता है। स्थानीय निकायों की उदासीनता, कार्यरत कर्मचारियों और अधिकारियों के कर्तव्य पालन में कोताही बरतने से नगरीय निकायों को राजस्व हानि का दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है। इससे शहर भी प्रदूषित हो रहा है।

परकोटा का बुरा हाल
शहर के चारदीवारी इलाके का अवैध निर्माणों से बुरा हाल हो चुका है। यूनेस्को ने चारदीवारी को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है। मगर जमीनी हालात बदतर हैं। तंग गलियों में बड़े-बड़े कॉम्प्लेक्स खड़े हो रहे हैं। हवेलियां खत्म होने के कगार पर है। इतना होने के बाद भी जयपुर नगर निगम आंखें मूंदे बैठा है।

निकायों को ये दिए निर्देश
-निकाय में कार्यरत कर्मचारी-अधिकारी अपने क्षेत्र के अवैध निर्माणों को गंभीरता से लें।
-इन निर्माणों से हो रही राजस्व हानि को रोकें ताकि न्यायालय के आदेशों की पालना हो सके।
-निकाय में बिना स्वीकृति किसी भी तरह का निर्माण नहीं होना चाहिए।
-इस तरह के निर्माणों को पूरी तरह रोका जाए और निर्माणकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
-लापरवाही बरतने वाले कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
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