फेल हुआ गहलोत का जादू, पायलट ने बिगाड़ा खेल
पायलट के समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं और कई विधायक खुल कर ये बात कह भी चुके है कि दिल्ली को गहलोत की जरुरत है। लेकिन खुद गहलोत विधायक दल की बैठक में बोल चुके हैं कि पार्टी का फैसला उनके लिए सर्वोपरी है और जो भी जिम्मेदारी पार्टी देगी वो उसे मानेंगे , लेकिन साथ ही उन्होनें अपनी मंशा भी साफ जाहिर की है ,वो राजस्थान से दूर कभी भी नहीं रहेंगे.
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गहलोत का राहुल पर भरोसा
गहलोत की गांधी परिवार के प्रति वफादारी जगजाहिर है। पार्टी उन भरोसा भी करती है इसलिए उन्हें दिल्ली बुलाए जाने के संकेत भी मिल रहे है। गहलोत ने कहा है अगर उन्हें नामांकन के लिए कहा जाएगा तो वे पीछे नहीं हटेंगें. लेकिन एक बार खुद जाकर राहुल गांधी से अध्यक्ष बनने का आग्रह करेंगे. उनका मानना है कि राहुल अध्यक्ष बनकर भारत जोड़ो यात्रा निकालेंगे तो उसका दोगुना प्रभाव होगा.
गहलोत के बिना पायलट की राह आसान नहीं
राजनीतिक पंडित मान रहे है कि सीएम की कुर्सी पायलट को भले ही मिल जाए लेकिन उनकी चुनौतियां कम नहीं होगी, गहलोत के अनुभव का सहारा नहीं मिला तो पार्टी 2023 में पीछे रह जाएगी। ये बात दिल्ली कांग्रेस से भी छिपी नहीं है, तो बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि राजस्थान को 2023 विधानसभा चुनाव में दांव पर लगाकर क्या दिल्ली कांग्रेस गहलोत को ‘रबर स्टांप’ अध्यक्ष बनाने का जोखिम उठाएगी।