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चुनावी लाभ लेने को किया जा रहा फिर रिफाइनरी का शिलान्यास – गहलोत

locationजयपुरPublished: Jan 06, 2018 08:47:45 pm

Submitted by:

Sunil Sisodia

– पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कहा पुन: शिलान्यास करना स्वस्थ्य परम्परा नहीं..

jaipur
जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि चुनावी लाभ लेने के लिए रिफाइनरी का पुन: शिलान्यास कराया जा रहा है। जबकि रिफाइनरी का शिलान्यास चार साल पहले ही यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी कर चुकी हैं। राज्य सरकार की हठधर्मिता से रिफाइनरी का काम चार साल तक अटका रहा। लोकतंत्र में सरकारें आती-जाती रहती हैं, लेकिन योजनाओं का शिलान्यास पुन: कराया जाना स्वस्थ्य परम्परा नहीं है। इस मामलों को लेकर गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है कि रिफाइनरी का शिलान्यास 22 सितम्बर 2013 को ही गांधी कर चुकी हैं।
गहलोत शनिवार को प्रेस कांफ्रेस में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि रिफाइनरी समय से शुरू हो जाती तो अब तक काम पूरा होने के साथ ही चालू हो जाती। इस परियोजना को इतने लम्बे समय तक इसलिए रोका गया, जिससे कि कांग्रेस को इसका श्रेय नहीं मिल सके। जबकि इस प्रोजेक्ट में देरी होने से राजस्थान के हजारों युवाओं को रोजगार से वंचित होना पड़ा। सरकार को राजस्व हानि भी हुई। इतना ही नहीं रिफाइनरी चालू होने के साथ ही लगने वाले हजारों सहयोगी लघु उद्योग भी नहीं लग सके।
उन्होंने कहा कि सरकार को चुनावी वर्ष के चलते रिफाइनरी परियोजना को लेकर झुकना पड़ा है। राजस्थान में दो लोकसभा और एक राज्य विधानसभा सीट के लिए चुनावी घोषणा के साथ आचार संहिता लागू हो जाने के बावजूद रिफाइनरी का शिलान्यास किया जाना क्या, आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है? रिफाइनरी एक जिले अथवा क्षेत्र विशेष के लिए महत्वपूर्ण नहीं है, वरन् यह सम्पूर्ण राज्य को प्रभावित करने वाली एक महत्वाकांक्षी परियोजना है।

४० करोड़ की बचत का झूंठा अलापा जा रहा राग…
गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेशवासियों को इस रिफाइनरी परियोजना में 40 हजार करोड रुपए की बचत का झूंठा राग अलाप रही है। लोगों को यह बार-बार बोलकर भ्रमित किया जा रहा है। जबकि हकीकत यह है कि रिफाइनरी की लागत 2013 में 37 हजार करोड थी, जो अब बढ़कर 43,119 करोड हो गई है। इस प्रकार 6000 करोड़ की लागत में वृद्धि हुई है। पहले कहा जा रहा था कि जमीन और क्रूड़ सरकार का फिर भी हिस्सेदारी मात्र २६ फीसदी क्यों? लेकिन अब इस हिस्सेदारी में नए एमओयू में वृद्धि क्यों नहीं की गई। वर्ष 2013 में एमओयू किया गया था, उस समय बाडमेर में क्रूड ऑयल का उत्पादन 4.5 एमएमटीपीए तथा 4.5 एमएमटीपीए आयात किया जाना था। इसमें शर्त थी कि बाड़मेर में उत्पादन बढ़ता है और आयात घटता है तो ऋण की राशि स्वत: ही कम हो जाएगी। वर्तमान में क्रूड़ ऑयल का उत्पादन बाड़मेर में ही 9.1 एमएमटीपीए होने लगा है, तो ऋण राशि कम होनी ही थी। वर्ष 2013 में कांग्रेस सरकार के समय किये गये एम.ओ.यू. में यह प्रावधान था कि एच.आर.आर.एल. को प्रतिवर्ष 9 एमएमटीपीए का उत्पादन मेन्टेन करना आवश्यक था। किसी वर्ष इससे कम उत्पादन होने पर अगले वर्ष का ऋण (इन्ट्रेस्ट फ्री लोन 3736 करोड़) उसी अनुपात में कम हो जाएगा।

ध्रुवीकरण बंद होने से घबरा रही भाजपा…
गहलोत ने कहा कि उप चुनाव में दोनों लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर कांग्रेस जीत दर्ज करेगी। तीनों स्थानों पर नामांकन दाखिल कराने जाएंगे। ट्रिपल तलाक बिल को लेकर कहा कि भाजपा नोटंकी कर रही है। मंदिर मुद्दे को लेकर गरमा रही राजनीति को लेकर बोले कि क्या भाजपा और आरएसएस के लोग ही हिन्दू हैं? हम मंदिर जाते हैं, लेकिन राजनीति नहीं करते। अब भाजपा की ध्रुवीकरण की दुकान बंद हो रही है। इससे घबरा रहे हैं। आज प्रदेश में किसान से लेकर हर वर्ग नाराज है।
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