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Ashok Gehlot: बाडेबंदी से बाहर दिख रही मुख्यमंत्री की ‘जादूगरी’, Sachin Pilot कैम्प को ऐसे दे रहे झटके !

locationजयपुरPublished: Aug 04, 2020 10:14:07 am

Submitted by:

Nakul Devarshi

… ताकि सरकार बची रहे, जाति-वर्ग विशेष के विधायकों को खुश करने की कवायद! एमबीसी आरक्षण से दिया पायलट कैम्प को ‘झटका’, एससी-एसटी विधायकों को राज़ी करने की भी पहल, बागियों के क्षेत्रों तक में जारी कर रहे वित्तीय स्वीकृतियां, विधानसभा सत्र से पहले कोई मौका चूकना नहीं चाहते गहलोत
 

Ashok Gehlot strategy before floor test during assembly session
नकुल देवर्षि/जयपुर।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार सुरक्षित रखने की कवायद में किसी भी स्तर पर कमी बरतने के मूड में दिखाई नहीं दे रहे हैं। यही वजह है कि विधानसभा सत्र से ठीक पहले समर्थित विधायकों की बाडेबंदी करने के साथ ही वे एक के बाद एक कई घोषणाएं भी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि सत्र के दौरान संभावित फ्लोर टेस्ट को देखते हुए सरकार इन घोषणाओं के ज़रिये विभिन्न जाति-वर्ग के विधायकों को खुश करने की जुगत में है।
एमबीसी आरक्षण से पायलट कैम्प पर ‘अटैक’!
सियासी संकट के बीच सीएम अशोक गहलोत ने न्यायिक सेवा में एमबीसी वर्ग को 5 फ़ीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया है। राजनीति के जानकार इसे गहलोत कैम्प की ओर से पायलट गुट को दिए गए एक बड़े झटके के तौर पर देख रहे हैं। बताया जा रहा है कि पायलट से राजनीतिक जंग में गहलोत का यह फैसला गेम चेंजर तक साबित हो सकता है।
एमबीसी के 5 प्रतिशत आरक्षण के मसले पर लम्बे समय से पुरजोर मांग हो रही है। इस बीच राजस्थान न्यायिक सेवा 2010 में संशोधन को ऐसे समय में मंज़ूरी दी गई है जब गुर्जर समुदाय से आने वाले सचिन पायलट ने बगावत की हुई है। लिहाजा माना जा रहा है गहलोत का यह फैसला गुर्जर समुदाय में बढती नाराजगी को काबू में करने की मंशा से लिया गया है।
गौरतलब है कि गहलोत गुट में गुर्जर समुदाय सहित एमबीसी वर्ग के कई विधायक मौजूद हैं। इनमें विधायक जितेन्द्र सिंह, अशोक चांदना, जोगिन्दर अवाना, शकुन्तला रावत और राजेन्द्र विधूड़ी सहित अन्य विधायक शामिल हैं। बाडेबंदी से निकलकर ये तमाम विधायक पायलट के समर्थन में ना चले जाएँ इस लिहाज़ से भी सरकार के इस फैसले को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
‘आदिवासियों’ पर भी बरसा रहे कृपा
एमबीसी ही नहीं अनुसूचित जाती-जनजाति वर्ग के विधायकों को भी सरकार विधानसभा सत्र से पहले साधने की कोशिश में है। पिछले दिनों विश्व आदिवासी दिवस पर सम्पूर्ण राजस्थान में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा करते हुए सरकार ने इस बात के संकेत दे दिए हैं। अब सत्र से पहले 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर भी कई घोषणाएं संभावित हैं। इनमें जोधपुर सम्भाग के आदिवासियों के उत्थान की योजना बनाने के लिए मारवाड़ आदिवासी विकास बोर्ड के गठन की घोषणा संभावित है। इसके लिए जैसलमेर में ही कैम्प कर रहे विधायक संयम लोढा ने मुख्यमंत्री को आग्रह किया है।
गहलोत गुट में इस वर्ग से आने वाले विधायकों में विधायक अर्जुन बामनिया, गणेश घोगरा, रमिला खड़िया, इंदिरा मीणा, रामकेश मीणा, निर्मला सहरिया, रामलाल मीणा और पानाचंद मेघवाल शामिल हैं। ऐसे में ये फैसले भी इस वर्ग के विधायकों को सरकार पर विश्वास बनाए रखने की मंशा से लिया जाना बताया जा रहा है।
बागी विधायकों के क्षेत्रों में विकास कार्य
राजनीति से जुड़े जानकार ये भी मानते हैं कि मुख्यमंत्री गहलोत विभिन्न घोषणाओं से जाति-वर्ग विशेष के विधायकों को तो साध ही रहे हैं, साथ ही वे बागी विधायकों तक को खुश करने की ‘जादूगरी’ पर काम कर रहे हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकार इन दिनों जैसलमेर से ही सही, पर बागी विधायकों के क्षेत्रों के विकास कार्यों से जुडी वित्तीय मंजूरियां दे रही है।
बागी विधायकों के क्षेत्रों में विकास कार्य से जुड़े सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायकों असंतुष्ट नहीं, उन्होंने रिवोल्ट किया है। ऐसे में फ़र्ज़ बनता है कि उनके क्षेत्रों की जनता से जुड़े विकास कार्य हों। इसमें जनता का क्या कसूर है? जनता ने उनको जिताकर विधानसभा भेजा था, अगर उन्होंने नाइत्तेफाक़ी रखी या बदला लिया तो इस कारण से जनता सफ़र नहीं करनी चाहिए।
14 अगस्त को शुरू होगा सत्र
राजस्थान विधानसभा का सत्र 14 अगस्त से शुरू होना है। माना जा रहा है कि सरकार इस सत्र में बहुमत साबित कर सकती है। वहीं कांग्रेस ने सत्र से पहले अपने सभी विधायकों की बाड़ेबंदी करते हुए उन्हें जैसलमेर के एक रिजॉर्ट में भेज दिया है।
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