उन्होंने यह भी जता दिया कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार लाने के पीछे असली मेहनत सचिन पायलट ने की, लेकिन मुख्यमंत्री बनने का अधिकार उनसे छीन लिया गया। जिस व्यक्ति के साइन से यहां बैठे विधायकों को टिकट मिले, आज वही उनसे दूर है। राठौड़ ने पायलट का सियासी बायोडाटा पढ़कर सुनाया और कहा कि 44 साल की उम्र में सचिन पायलट उपमुख्यमंत्री बन गए। हालांकि, इस पर सचिन पायलट ने खड़े होकर यह साफ कर दिया कि जो गिला शिकवा थे दूर हो गए और किसी भी कीमत पर पार्टी को झुकने नहीं देंगे।
50 हजार से ज्यादा संक्रमित, मगर बाड़े में सरकार कोरोना महामारी से जुड़े प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए राठौड़ ने सरकार को घेरा और कहा कि कोरोना संक्रमित लोगों के आंकड़े 50 हजार पहुंच गए है और 800 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है, लेकिन सरकार चलती हुई नहीं बल्कि बाड़े में नजर आई। टिड्डियों ने 16 जिलों में 1100 करोड़ से ज्यादा की फसलों को चौपट कर दिया। सरकार ने किसानों से ऋण माफ करने की बात कही थी, जो अब तक अधूरी है।
राज्य में कानून व्यवस्था चौपट राजेंद्र राठौड़ ने प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था और बिजली के बढ़े हुए बिलों से उपभोक्ताओं को हो रही परेशानी का मामला भी सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था किसी से छुपी हुई नहीं है। प्रदेश के मुख्यमंत्री ही गृहमंत्री हैं, लेकिन बिगड़ती कानून व्यवस्था पर वह अब तक मौन ही हैं। सरकार ने बिजली के दाम बढ़ा दिए, फिर विद्युत शुल्क और अन्य शुल्कों के नाम पर और चार्जेस बढ़ाते गए, जिससे जनता बेहद परेशान है। बेरोजगार भी प्रदेश सरकार से उस वादे का हिसाब मांग रहा है जो चुनाव से पहले कांग्रेस ने किया था। राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि जब सत्ता पक्ष के लोग ही राजभवन में घेराव करें और मुख्यमंत्री यह चेतावनी दे दें यदि जनता घेराव करेगी तो हमारी जिम्मेदारी नहीं, ऐसे में राज्यपाल अपनी सुरक्षा की गुहार आखिर कहां लगाएं।