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सहायक प्रोफेसर स्त्री रोग भर्ती 2015— आरपीएससी की मई 19 की सलेक्ट लिस्ट वैध घोषित

locationजयपुरPublished: Mar 23, 2020 06:04:08 pm

Submitted by:

Mukesh Sharma

(Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट ने (Astt Professor Gyne & Obst recruitment 2015 ) सहायक प्रोफेसर स्त्री व प्रसूती रोग भर्ती 2015 के लिए (RPSC) आरपीएससी की 18 मई,2019 की (Select List) सलेक्शन लिस्ट को (Upheld) वैध घोषित कर हरी झंडी दे दी है।

जयपुर

(Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट ने (Astt Professor Gyne & Obst recruitment 2015 ) सहायक प्रोफेसर स्त्री व प्रसूती रोग भर्ती 2015 के लिए (RPSC) आरपीएससी की 18 मई,2019 की (Select List) सलेक्शन लिस्ट को (Upheld) वैध घोषित कर हरी झंडी दे दी है। न्यायाधीश संगीतराज लोढा और न्यायाधीश महेन्द्र कुमार गोयल ने यह आदेश आरपीएससी की 9 रिव्यू पिटिशन को मंजूर करते हुए दिए। कोर्ट ने 8 मई,2019 के फैसले के पेज नंबर 8 पैरा नंबर दो में दिए गए निष्कर्ष को गलत मानते हुए आरपीएससी को स्क्रीनिंग टैस्ट में पास होने वाले सभी अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में बुलाने,संयुक्त मैरिट लिस्ट बनाने और माइग्रेशन के नियम की पालना करके संशोधित मैरिट लिस्ट जारी करने के निर्देश को वापिस ले लिया है।
यह है मामला—
आरपीएससी ने 16 जुलाई,2015 को सहायक प्रोफेसर स्त्री व प्रसूती रोग विशेषज्ञ के 37 पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया था।सलेक्शन का आधार साक्षात्कार था और ज्यादा उम्मीदवार होने पर स्क्रीनिंग टैस्ट पास करने वालों को ही साक्षात्कार में बुलाने का प्रावधान था। आरपीएससी ने स्क्रीनिंग टैस्ट करके 114 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया। 18 मई,2017 को माइग्रेशन नियम की पालना करते हुए फाइनल सलेक्ट लिस्ट जारी कर दी। सलेक्ट नहीं होने वालों ने इसे चुनौती दी और कहा कि साक्षात्कार में श्रेणीवार बुलाया गया जबकि स्क्रीनिंग टैस्ट में पास होने वालों की एक ही सूची होनी चाहिए थी। यदि साक्षात्कार श्रेणीवार ही करने थे तो फाइनल सलेक्ट लिस्ट में भी एससी के अभ्यर्थी को एससी की सीट पर ही रखना चाहिए था और उसे मैरिट के आधार पर सामान्य की लिस्ट में स्थान नहीं देना चाहिए था यानि माइग्रेशन का लाभ नहीं देना चाहिए था।
एकलपीठ ने याचिकाएं मंजूर करते हुए आरपीएससी की 18 मई,2018 की सलेक्ट लिस्ट को रदृद कर दुबारा तैयार करने केा कहा। एकलपीठ ने कहा कि या तो साक्षात्कार के लिए एक समान लिस्ट बननी चाहिए थी,लेकिन आरपीएससी ने जब श्रेणीवार यह लिस्ट बनाई तो उन्हें केवल अपनी ही श्रेणी में साक्षात्कार के लिए बुलाया जाना चाहिए था।
एकलपीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी गई। खंडपीठ ने अपील आंंशिक रुप से मंजूर करते हुए आरपीएससी को स्क्रीनिंग टैस्ट पास अभ्यर्थियों को श्रेणीवार के स्थान पर सभी को साक्षात्कार में बुलाने और माइग्रेशन नियम का लाभ देकर संयुक्त मैरिट लिस्ट तैयार करने के निर्देश दिए।
आरपीएससी ने इसी आदेश के लिए रिव्यू पिटिशन दायर कीं और बताया कि रिकार्ड के अनुसार ही खंडपीठ का श्रेणीवार साक्षात्कार के लिए बुलाने का निष्कर्ष गलत है। यह स्क्रीनिंग में पास और साक्षात्कार में बुलाए गए अभ्यर्थियों की लिस्ट से साफ है कि सभी को कॉमन साक्षात्कार के लिए बुलाया था और आरक्षण नियमों की पालना फाइनल सलेक्शन लिस्ट में ही की गई। हालांकि स्क्रीनिंग टैस्ट में श्रेणीवार लिस्ट बनाई थी लेकिन साक्षात्कार के लिए श्रेणीवार लिस्ट नहीं बनाई थी।इसलिए 8 मई,2019 के निर्देश पर पुर्नविचार हो।
हां वो निष्कर्ष गलत था—
कोर्ट ने माना है कि रिकार्ड से साफ है कि साक्षात्कार श्रेणीवार नहीं हुए थे बल्कि समान हुआ था। सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के फैसलों से साफ है कि माइग्रेशन का नियम साक्षात्कार के लिए तैयार लिस्ट में नहीं बल्कि फाइनल सलेक्ट लिस्ट में ही लागू हो सकता है। यह साफ है कि आरपीएससी ने श्रेणीवार साक्षात्कार नहीं लिए थे इसलिए 8 मई ,2019के फैसले में पेज 8 पैरा 2 में दिया गया निष्कर्ष गलत है। कोर्ट ने इस आदेश में स्क्रीनिंग टैस्ट में पास सभी अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में बुलाने,संयुक्त मैरिट लिस्ट बनाने और माइग्रेेशन नियम लागू करके संशोधित मैरिट लिस्ट बनाने के निर्देश वापिस ले लिया है और आरपीएससी की 18 मई,2019 की सलेक्ट लिस्ट को वैध घोषित कर दिया है।
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