बढ़ गए केसेज
हर महीने करीब 30-35 नए मामले अस्थमा के सामने आ रहे हैं, जो कि पहले आठ से दस तक ही आ रहे थे। वर्ष 2019 में जयपुर में पिछले वर्ष की तुलना में करीब 45 प्रतिशत अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ी है। यदि सही स्थिति रही तो जयपुर की एक तिहाई आबादी एक दशक से पहले अस्थमा के रोग का शिकार हो सकती है, जिसमें अधिकतर 20 वर्ष से कम आयु के बच्चे होंगे।
हर महीने करीब 30-35 नए मामले अस्थमा के सामने आ रहे हैं, जो कि पहले आठ से दस तक ही आ रहे थे। वर्ष 2019 में जयपुर में पिछले वर्ष की तुलना में करीब 45 प्रतिशत अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ी है। यदि सही स्थिति रही तो जयपुर की एक तिहाई आबादी एक दशक से पहले अस्थमा के रोग का शिकार हो सकती है, जिसमें अधिकतर 20 वर्ष से कम आयु के बच्चे होंगे।
फरवरी मार्च में संभल कर रहें
एसएमएस अस्पताल के अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉ. अजीत सिंह ने बताया कि फरवरी से मार्च तक पतझड़ का मौसम होता है। इस मौसम में नए फूल आएंगे। वातावरण में परागकण रहते हैं। इस वजह से अस्थमा के मरीज बढ़ेंगे। अस्पतालों में 15 से 20 प्रतिशत अस्थमा के मरीज आने लग जाते हैं। अस्थमा के साथ-साथ सीओपीडी के केस भी दिनों-दिन बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि तापमान बढऩे के साथ ही हमारे रहन-सहन, खाने-पीने में भी बदलाव होता है। इस वजह से अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। सीओपीडी से राजस्थान में सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं।
एसएमएस अस्पताल के अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉ. अजीत सिंह ने बताया कि फरवरी से मार्च तक पतझड़ का मौसम होता है। इस मौसम में नए फूल आएंगे। वातावरण में परागकण रहते हैं। इस वजह से अस्थमा के मरीज बढ़ेंगे। अस्पतालों में 15 से 20 प्रतिशत अस्थमा के मरीज आने लग जाते हैं। अस्थमा के साथ-साथ सीओपीडी के केस भी दिनों-दिन बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि तापमान बढऩे के साथ ही हमारे रहन-सहन, खाने-पीने में भी बदलाव होता है। इस वजह से अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। सीओपीडी से राजस्थान में सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं।