इस टेस्ट के बाद भारत विश्व में ऐसा करने वाला छठा देश बन गया। जबकि भारत पहला ऐसा परमाणु शक्ति संपन्न देश था, जिसने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।
इस कदम के उठते ही भारत की दुनिया भर में धाक जम गई और परीक्षण के अगले साल 11 मई से भारत सरकार ने ‘रीसर्जेंट इंडिया डे’ मनाने का निर्णय ले लिया।
क्या हुआ था उस दिन
राजस्थान के सरहदी जिले जैसलमेर के पोखरण की वो सुबह बहुत शांत थी… हवा बह रही थी… तभी कुछ निर्देश दिए गए और ट्रक, बुलडोजर खोदे गए कुओं की ओर बढ़ने लगे। कुछ ही पलों में मशीनों की तेज आवाजें सुनाई देने लगीं। थोड़ी ही देर में कुएं में न सिर्फ बालू भर दी गई बल्कि इनके ऊपर बालू के छोटे छोटे पहाड़ भी बना दिए गए। इनसे मोटे-मोटे तार निकले थे। इनमें थोड़ी ही देर में आग लगा दी गई और इसके बाद एक तेज विस्फोट हुआ। इस विस्फोट से मशरूम के आकार का स्लेटी रंग का बादल निकला। करीब 20 लोग बड़ी उम्मीद से इसे निहार रहे थे। इतने में इन वैज्ञानिकों में से एक ने जोर से कहा, ‘Catch us if you can’, यानी ‘पकड़ लो अगर हमें पकड़ सको’… इसके बाद वहां हंसी के ठहाके गूंजने लगे। उनका मिशन कम्पलीट हो चुका था।
58 इंजीनियर रेजीमेंट ने जिम्मेदारी से संभाला काम
भारत का ये सीक्रेट मिशन अमेरिका की एजेंसी CIA की सबसे बड़ी इंटेलिजेंस असफलता माना जाता है। विस्फोट के बाद अमरीका ने अपनी सैटेलाइट से ली गई तस्वीरें डाउनलोड कीं। उनके वैज्ञानिकों के बीच यही चर्चा रही कि आखिर इतने गोपनीय तरीके से भारतीयों ने इस परमाणु टेस्ट को कैसे अंजाम दिया?
भारत के पोखरण ( pokaran Field Firing Range ) पर नजर रखने के लिए अमरीका ने अरबों रुपये खर्च किए थे। इसके लिए अमरीका ने चार सैटेलाइट लगाए थे। भारतीय वैज्ञानिकों ने फिर भी सीक्रेट तरीके से आॅपरेशन को अंजाम दिया। इन सैटेलाइट्स के बारे में कहा जाता था कि ये जमीन पर खड़े भारतीय सैनिकों की घड़ी में से समय भी देख सकते हैं। CIA ने तो इतना कह दिया था कि इन सैटेलाइट्स के पास ‘human intelligence’ हैं, लेकिन इन सारे दावों को दरकिनार कर भारत ने दुनिया भर में अपनी धाक साबित कर दी।