बर्फीली सतह पर 2.8 किमी तक करेंगे ड्रिल
वैज्ञानिक इस सफर में 10 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से यात्रा करेंगे। इस दौरान वे माइनस 50 डिग्री सेल्सियस तापमान, बदलती बर्फ की स्थिति और चुनौतीपूर्ण इलाकों से होते हुए लिटिल डोम सी तक पहुंचेंगे। वैज्ञानिक 10 लाख साल पहले की बर्फ को निकालने के लिए बर्फीली सतह पर 2.8 किमी तक ड्रिल करेंगे। यह बीते 20 साल में ऑस्ट्रेलिया की सबसे महत्वाकांक्षी ध्रुवीय अन्वेषण परियोजना (Australia’s most ambitious polar exploration project) है।
प्राचीन रसायन देंगे जलवायु की जानकारी
बर्फ में फंसे प्राचीन हवा के बुलबुलों और रसायनों का विश्लेषण किया जाएगा। इससे जलवायु परिवर्तन और हिमयुग के बारे में लंबे समय से चले आ रहे सवालों से जुड़ी नई जानकारी मिलेगी। प्राचीन बर्फ तक पहुंचने के लिए हर साल गर्मियों में ड्रिलिंग की जाएगी। इस तरह वर्ष 2027 तक अंटार्कटिक की सबसे पुरानी बर्फ को ड्रिल किए जाने की संभावना है।
बर्फ की परत में छिपे हैं कई रहस्य
आइस कोर ड्रिल किए गए बर्फ के टुकड़े होते हैं, जिन्हें ‘टाइम कैप्सूल’ माना जाता है। पृथ्वी के सभी महाद्वीपों पर ग्लेशियरों और बर्फ की चादरों से ये प्राप्त किए जाते हैं। हालांकि अधिकांश आइस कोर अंटार्कटिक और ग्रीनलैंड से आते हैं, जहां सबसे लंबे आइस कोर तीन किमी या इससे अधिक लंबे होते हैं। ध्रुवीय बर्फ की चादरों के ठंडे आंतरिक क्षेत्रों में आइस कोर बेहतर रूप से संरक्षित और विस्तृत जलवायु रेकॉर्ड प्रदान करते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि इन स्थानों पर किसी तरह की अशुद्धियां रेकॉर्ड को धुंधला नहीं करती हैं।
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