मकर संक्रांति की धूम धर्मनगरी में पांच दिन मकर संक्रांति की धूम भरतकूप में देखी जाती है। लाखों श्रद्धालु मकर संक्रांति में पहुंच कर कूप में स्नान कर पुण्य लाभ लेते है। यह वह स्थान है जहां पर स्नान से समस्त तीर्थो का पुण्य मिलता है। वजह है कि इस कूप में भरत जी ने समस्त तीर्थ के जल को लाकर डाला था। जो वे भगवान राम के राज्याभिषेक को लाए थे।
बुंदेल शासकों के समय में मंदिर का निर्माण भरतकूप मंदिर में एक कूप है जिसका धार्मिक महत्व गोस्वामी तुलसीदास ने श्री रामचरित मानस में वर्णित किया है। महंत दिव्यजीवनदास बताते हैं की जब प्रभु श्रीराम चौदह साल का वनवास काटने के लिए चित्रकूट आए थे उस समय उनके अनुज भरत को माता कैकेयी के क्रियाकलाप कर काफी दुख हुआ था। वे अयोध्या की जनता के साथ श्री राम को मनाने चित्रकूट आए थे साथ में प्रभु का राज्याभिषेक करने को समस्त तीर्थो का जल भी लाए थे लेकिन भगवान राम चौदह साल वन रहने को दृढ़ प्रतिज्ञ थे। इस पर भरत जी काफी निराश हुए और जो जल व सामग्री श्री राम के राज्याभिषेक को लाए थे उसको इसी कूप में छोड़ दिया था और भगवान राम की खड़ाऊ लेकर लौट गए थे। यहां पर बना भरतकूप मंदिर भी अत्यंत भव्य है। इस मंदिर में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघन की मूर्तियां विराजमान है। सभी प्रतिमाएं धातु की है। वास्तुशिल्प के आधार पर मंदिर काफी प्राचीन है। माना जाता है कि बुंदेल शासकों के समय में मंदिर का निर्माण हुआ था।
तीर्थो के पुण्य के साथ होते है असाध्य रोग दूर वैष्णव धर्मावलंबियों की मान्यता है कि इस कूप में स्नान से समस्त तीर्थो का पुण्य तो मिलता ही है साथ की शरीर के असाध्य रोग भी दूर होते है। भगवान राम के चरणों के प्रताप से मनुष्य मृत्यु के पश्चात स्वर्गगामी होता है और मोक्ष को प्राप्त करता है।
भरतकूप अब कहिहहिं लोगा, अतिपावन तीरथ जल योगा, प्रेम सनेम निमज्जत प्राणी, होईहहिं विमल कर्म मन वाणी। मकर संक्रांति में लाखों लोग करते है स्नान भरतकूप में मकर संक्रांति को पांच दिन मेला लगता है। यहां पर बुंदेलखंड के कोने-कोने से भारी संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन आते है और इस कूप में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करते है। प्रत्येक अमावस्या पर भी यहां पर श्रद्धालु स्नान करने के बाद चित्रकूट जाते है और फिर मंदाकिनी में स्नान कर कामदगिरि की परिक्रमा लगाते हैं।
भरतकूप में पांच दिवसीय मेला मकर संक्रांति के अवसर पर भरतकूप में पांच दिवसीय मेला भी लगता है। बुंदेलखंड के कई छोटे बड़े व्यापारी मेले में विभिन्न घरेलू वस्तुओं और सामग्रियों की दुकान सजाते हैं। काफी पुरानी परम्परा मानी जाती है भरतकूप के मेले की। हाँ यह बात अलग है की सिस्टम की उदासीनता के चलते ऐसे महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थलों का विकास अभी तक बाट जोह रहा है।