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मस्जिद बनाकर ऐतिहासिक भूल हुई, उसे सुधारने की जरूरत : हिंदू पक्ष

locationजयपुरPublished: Oct 15, 2019 09:27:36 pm

Submitted by:

Vijayendra

एक दिन पहले आज ही सुनवाई पूरी होने की उम्मीद
परासरन ने कहा कि अयोध्या में 55 से 60 मस्जिदें हैं और मुस्लिम किसी भी मस्जिद में नमाज पढ़ सकते हैं। लेकिन विवादित स्थल ही भगवान राम का जन्मस्थान है और जन्मस्थान नहीं बदला जा सकता।

मस्जिद बनाकर ऐतिहासिक भूल हुई, उसे सुधारने की जरूरत : हिंदू पक्ष

मस्जिद बनाकर ऐतिहासिक भूल हुई, उसे सुधारने की जरूरत : हिंदू पक्ष

नई दिल्ली . अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को 39वें दिन भी सुनवाई हुई। हिंदू पक्षकार के वकील के परासरन ने मस्जिद बनाने को ऐतिहासिक भूल बताया। मुस्लिम पक्षकारों की दलीलों पर उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान पर बाबर ने मस्जिद बनवाई और यह एक ऐतिहासिक भूल की गई थी, जिसे सुधारने की जरूरत है। परासरन ने कहा कि अयोध्या में 55 से 60 मस्जिदें हैं और मुस्लिम किसी भी मस्जिद में नमाज पढ़ सकते हैं। लेकिन विवादित स्थल ही भगवान राम का जन्मस्थान है और जन्मस्थान नहीं बदला जा सकता।

संविधान पीठ ने बुधवार को दोनों पक्षकारों के लिए टाइम स्लॉट तय कर दिया है जिसके बाद मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर बहस होगी कि आखिर पक्षकारों की जो अपील है उसमें क्या आगे-पीछे हो सकता है। मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित किया जाएगा। उम्मीद है कि बुधवार को ही बहस पूरी हो जाए।
शीर्ष कोर्ट लाइव : एक विदेशी शासक आया, बोला-मैं बाबर हूं, काूनन मेरे नीचे है
परासरन : भारत पर लगातार आक्रमण हुए। उन्होंने आर्यों का जिक्र करते हुए कहा, सीता खुद राम को आर्य कहती थीं।
राजीव धवन : यह पूरी तरह से नई दलील शुरू कर दी गई है।
परासरन : हम कहना चाह रहे हैं कि सम्राट और विजेता में क्या फर्क है। कैसे मुस्लिम पक्षकार विवादित जमीन पर अपना दावा कर सकता है, क्योंकि ये तय है कि उनका निवेदन दागदार है। जो ऐतिहासिक भूल हुई है उसे कृपया सुधारा जाए। एक विदेशी शासक यहां आया और कहता है कि मैं सम्राट बाबर हूं और कानून मेरे नीचे है और कहता है कि मेरा आदेश ही कानून है।
धवन : मेरे काबिल दोस्त को ये भी बताना चाहिए कि अयोध्या में मंदिर कितने हैं।
जस्टिस नजीर : क्या आप कहना चाहते हैं कि पजेशेन के आधार पर आपका अधिकार बनता है।
परासरन : कोई भी उस स्थल पर एक्सक्लूसिव पजेशन के अधिकार का दावा नहीं कर सकता। वह स्थान पूजा के लिए है। एक्सक्लूसिव पजेशन का दावा तब हो सकता है जब किसी एक का संपत्ति पर हक बन जाए।
धवन : यह विवाद पूजा करने वाले या प्रार्थना करने वालों के बीच का विवाद नहीं है। एक बार अगर ये वक्फ की संपत्ति हुई तो फिर मैनेजमेंट का अधिकार खुद-ब-खुद उसमें निहित हो जाएगा।
सीजेआइ गोगोई : क्या आप धवन की इस दलील को स्वीकार करते हैं कि मस्जिद हमेशा मस्जिद ही रहती है?
परासरन : नहीं। बल्कि मेरी दलील है कि मंदिर हमेशा मंदिर रहता है। मैं उनकी दलील पर कॉमेंट नहीं करना चाहता क्योंकि मैं एक्सपर्ट नहीं हूं।
40वां दिन आखिरी भी हो सकता है : सीजेआइ
रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने दलील के लिए बुधवार को एक घंटा अतिरिक्त देने के लिए कहा। के परासरन ने कहा कि आज सुनवाई का 39वां दिन है तब प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) रंजन गोगोई ने कहा कि कल 40 वां दिन है और आखिरी भी हो सकता है।

क्या है मोल्डिंग ऑफ रिलीफ
दोनों पक्षों की ओर से अपील के दौरान जो गुहार लगाई गई है उस गुहार से आगे-पीछे कुछ गुंजाइश बनती है क्या, इस संभावना को देखा जाता है। इस मामले में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ सिद्धांत किस हद तक लागू किया जा सकता है, ये भी बहस का मुद्दा हो सकता है।
हिंदू पक्ष से भी खूब सवाल पूछ रहे हैं ना : सीजेआइ
सीजेआइ रंजन गोगोई ने सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन से चुटकी ली। जब हिंदू पक्ष के वकील परासरण से संवैधानिक पीठ सवाल पूछ रही थी तो सीजेआइ ने धवन से पूछ लिया कि क्या वह संतुष्ट हैं? सीजेआइ के इस सवाल पर पूरा कोर्ट रूम ठहाके से गूंज उठा। दरअसल सोमवार को धवन ने कहा था कि पीठ हिंदू पक्ष के वकीलों से सवाल नहीं करती।
दूसरी सबसे लंबी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में यह दूसरी बड़ी सुनवाई बन गई है। केशवानंद भारती मामले की सुनवाई 68 दिन चली थी। 2017 में आधार की अनिवार्यता को लेकर 38 दिनों तक सुनवाई चली।
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