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बाबरी मस्जिद विध्वंस केस:सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के लिए 31 अगस्त तक बढाई समय सीमा

locationजयपुरPublished: May 08, 2020 07:44:04 pm

Submitted by:

Mukesh Sharma

(Supreme court )सुप्रीम कोर्ट ने (Babri Masjid demolition case) बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बीजेपी नेताओं के खिलाफ (Lucknow CBI Court) लखनऊ सीबीआई कोर्ट में चल रहे (Case) मुकदमे में (judgement) फैसला देने का (Time ) समय 31 अगस्त,2020 तक (Extend) बढा दिया है।

बाबरी मस्जिद विध्वंस केस:सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के लिए 31 अगस्त तक बढाई समय सीमा

बाबरी मस्जिद विध्वंस केस:सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के लिए 31 अगस्त तक बढाई समय सीमा

जयपुर
(Supreme court )सुप्रीम कोर्ट ने (Babri Masjid demolition case) बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बीजेपी नेताओं के खिलाफ (Lucknow CBI Court) लखनऊ सीबीआई कोर्ट में चल रहे (Case) मुकदमे में (judgement) फैसला देने का (Time ) समय 31 अगस्त,2020 तक (Extend) बढा दिया है। जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस सुर्यकांत ने ट्रायल कोर्ट के जज को और समय सीमा नहीं बढाने के निर्देश भी दिए हैं। दरअसल ट्रायल कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट को समयसीमा बढाने के लिए 6 मई को पत्र लिखा था। उनका कहना था कि अभी तक साक्ष्यों की रिकार्डिंग ही पूरी नहीं हुई है।
बीजेपी नेता हैं आरेापी—
मामले में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरलीमनोहर जोशी, कल्याण सिंह,उमा भारती सहित 13 अन्य आरोपियों के खिलाफ 6 दिसंबर,1992 को बाबरी मस्जिद गिराने का षडयंत्र करने के आरोप हैं।
पहले भी बढाया था समय—
इससे पहले 19 जुलाई,2019 को सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को छह महीने में साक्ष्यों की रिकार्डिंग करने और नौ महीने में फैसला करने केा कहा था। कोर्ट ने 30 सितंबर,2019 को सेवानिवृत्त होने वाले ट्रायल कोर्ट के जज का कार्यकाल फैसला होने तक बढाने के भी यूपी सरकार को निर्देश दिए थे।
वीसी का करें इस्तेमाल—
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को समय सीमा के भीतर ट्रायल पूरी करने के लिए साक्ष्य दर्ज करने के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग का इस्तेमाल करने को कहा है ताकि और समयसीमा बढाने की आवश्यकता ना हो। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में रायबरेली में चल रहे एक अन्य केस को भी लखनऊ सीबीआई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था और दिन—प्रतिदिन ट्रायल करने के निर्देश दिए थे।
2.77 एकड जमीन राम मंदिर की—
9 नवंबर,2019 को सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की बैंच ने अयोध्या की विवादित 2.77 एकड जमीन को राममंदिर निर्माण के लिए सौंपने और मस्जिद निर्माण के लिए वैकल्पिक स्थान पर 5 एकड जमीन देने के निर्देश दिए थे। तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई,जस्टिस एस ए बोबडे,डी वाई चन्द्रचूड,जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर की बैंच ने बाबरी मस्जिद गिराने को कानून के विपरीत बताते हुए मस्जिद के केन्द्रीय गुबंद के नीचे 1949 में मूर्तियां रखने को मस्जिद को अपवित्र करने वाला काम बताया था।

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