पटाख कारोबारी राजेश और उनका परिवार पिछले 50 साल से पटाखों के कारोबार से जुड़ा हुआ है। हर साल दिवाली से पहले अगस्त में ही इनका कारोबार शुरू हो जाता था, लेकिन इस बार ये पटाखों की जगह कपड़े बेच रहे हैं। पटाखों की दुकान का साइन बोर्ड साइड में पड़ा है। अमूमन सभी पटाखा कारोबारियों का पिछले साल से यही हाल है। कोरोना महामारी को देखते हुए पिछली बार भी सरकार ने प्रदेश में पटाखे चलाने और बिक्री पर पाबंदी लगा दी थी।
यहां करीब 5 हजार व्यापारी स्थाई लाइसेंस वाले हैं। इसमें पारम्परिक आतिशबाजी करने वाले शोरगर भी शामिल हैं। दिवाली पर लगभग 35 हजार अस्थाई लाइसेंस जारी किए जाते हैं। 10 से 15 पटाखा निर्माता यूनिट्स भी हैं। अनुमान है कि प्रदेश में दिवाली के मौके पर करीब 20 लाख लोगों को पटाखा व्यवसाय से रोजगार मिलता है। दिवाली के साथ सालभर होने वाले शादी समारोह को भी शामिल करें, तो यह सालाना करीब 5 हजार करोड़ का करोबार है।
देश में सबसे ज्यादा पटाखे बनाने वाली फैक्ट्रियां तमिलनाडू के शिवाकाशी में हैं। यहां सालभर पहले ही पटाखों की बुकिंग हो जाती है। थोक व्यापारी एडवांस पेमेंट कर पटाखे बुक कराते हैं। प्रदेश में सरकार ने पिछले साल जो पाबंदी लगाई गई थी, उसे इस साल फरवरी में हटा लिया गया था। इसके बाद प्रदेश के व्यापारियों ने दिवाली के लिए एडवांस पेमेंट जमा करा कर पटाखे बुक करा दिए। अब सरकार ने पाबंदी लगा दी। इससे व्यापारियों को करोड़ो रुपए का नुकसान होना तय है।
देश में राजस्थान के साथ दिल्ली और हरियाणा में भी पटाखों की बिक्री पर रोक लगा रखी है। इसके पीछे दिल्ली में फैलने वाला प्रदूषण भी एक कारण है। इन राज्यों के अलावा देश में और कहीं भी अभी तक पटाखों के व्यापार पर सरकार की ओर से पाबंदी की सूचना नहीं है। अब प्रदेश में सरकार चाहे तो केवल ग्रीन पटाखों के लिए लाइसेंस जारी कर सकती है। इसमें प्रति लाइसेंस पटाखे बेचने की मात्रा भी तय हो सकती है। इसके लिए पटाखा व्यवसायी भी सहमत हैं।
कोरोना ने करोड़ों के इस कारोबार को ठप कर दिया और इससे जुड़े लाखों लोगों से उनका रोजगार को छीन लिया है। प्रदेश के बीस लाख लोग जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़े है वह दूसरा काम करने के लिए मजबूर हो गए है।
जहीर अहमद, अध्यक्ष, फायरवक्र्स आर्टिस्ट एसोसिएशन
कुछ दिन पहले सरकार ने व्यापारियों ने अस्थाई लाइसेंस के आवेदन मांगे थे और व्यापारियों ने आवेदन भी कर दिए थे। इसी को देखते हुए व्यापारियों ने एडवांस में पटाखे भी खरीद लिए है। अब रोक लगने से इन व्यापारियों को लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है।
ललित सिंह सांचौर, अध्यक्ष, जयपुर व्यापार मंडल