न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व न्यायाधीश एन.एस. ढड्ढा की खंडपीठ ने कुणाल रावत की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि 10 जनवरी 19 को संभाग मुख्यालयों पर मॉल व बहुमंजिला भवनों में अग्निशमन जांच अभियान की पालना नहीं हो पाई है। महाधिवक्ता एम.एस. सिंघवी ने पालना नहीं होने के तथ्य को स्वीकारते हुए कहा कि आदेश में वांछित जानकारी पेश कर दी है।
सरकार ने ये बताए हालात
-प्रदेश में अग्निशमन कर्मियों के 1203 पद खाली हैं।
– जयपुर, जोधपुर व कोटा में 32 मीटर ऊंची हाइड्रोलिक सीढ़ी है। 70 मीटर ऊंची सीढ़ी लाने की प्रक्रिया जारी। भिवाड़ी में 60 मीटर ऊंची सीढ़ी की व्यवस्था होगी।
-2018 में 4,623 अग्नि हादसे हुए। जयपुर में 1300। हादसों में जनहानि की सूचना नहीं मिलने पर कोर्ट की नाराजगी।
कोर्ट ने ये भी निर्देश दिए
-अग्निशमन कर्मियों के प्रशिक्षण व प्रशिक्षण संस्थानों का विवरण दें।
-32 मीटर से ऊंची कितनी इमारत हैं, जिनको अनुमति दी गई।
-32 मीटर से ऊंची हाईड्रोलिक सीढ़ी नहीं आए, तब तक इससे ऊंची इमारतों को अनुमति नहीं दी जाए।
नियुक्त किया कोर्ट कमिश्नर
जयपुर में 18 अप्रेल 18 को हुए अग्नि हादसे के मलबे को लेकर जयपुर नगर निगम ने हाईकोर्ट में कहा कि मलबा हट गया है, लेकिन याचिकाकर्ता भानु प्रताप गुप्ता की ओर से कहा गया कि मलबा अब तक साफ नहीं हुआ है। इस पर कोर्ट ने अधिवक्ता अमितोष पारीक को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। नगर निगम से पारीक को 10 हजार रुपए दिलाए हैं। अब सुनवाई 22 जुलाई को होगी।