आज प्रधानमंत्री मोदी ने बाड़मेर में कांग्रेस को कोसने में कसर नहीं छोड़ी, पेट्रोलियम मंत्री भी खूब बोले कि बिना किसी तैयारी के पूर्व सरकार ने प्रोजेक्ट का शिलान्यास करवा दिया। अगर ये सही है तो सरकार को वाकई अधिकारिक रूप से तथ्य सामने रखने चाहिए। अगर ये नहीं किया तो माना जाएगा कि बयानबाजी में राजनीति के अलावा कुछ नहीं। बहरहाल, रिफाइनरी और राजनीति का किस्सा पुराना है, लेकिन क्या आज विकास का कोई रोड़मैप नजर आया? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजस्थान दौरे पर थे.. क्या राजस्थान के लिए कोई अहम घोषणा की जरूरत नहीं थी? पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान कई लुभावने वायदे कर गए कि पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी का एक केन्द्र बाड़मेर में भी होगा… स्किल्ड मैन पॉवर तैयार होंगे..वगैरह-वगैरह…
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अच्छा होता कि ये काम तो शुरु हो जाता…बाड़मेर में जहां रिफाइनरी लगनी है, वहां स्मार्ट सिटी प्लानिंग को लेकर काम शुरु हो जाता… विकास के बड़े प्रतिमान कायम करने की होड़ में जमीन तैयार करना क्यों भूल जाती हैं आती-जाती सरकारें? मूल लागत, प्रोजेक्ट की वाईबिलिटी, ब्याज, सूद, कर्ज सब आर्थिक पहलू नकारे नहीं जा सकते। लेकिन इन मुद्दों का शोर ज्यादा है..। आम जनता को सीधे इससे सरोकार इसीलिए नहीं है क्योंकि पांच साल में एक बार वोट देकर ये जिम्मेदारी सरकार को सौंप देती है। जनता को चाहिए रोजगार की गारंटी, विकास की गारंटी, लुभावने वायदों की शक्ल में नहीं…बल्कि पुख्ता एक्शन प्लान की शक्ल में… क्या रिफाइनरी को लेकर दावे करने वाली सरकारों ने आम जनता के सरोकारों का कोई एक्शन प्लान दिया है? यह भी पढ़ें