गोविंद देव जी : झांकियों का परिवर्तित समय
मंगला झांकी : सुबह 4 से 4.15 बजे
अभिषेक तिथि पूजन : सुबह 4.45 से 5 बजे
धूप झांकी : सुबह 8.30 से 9.45 बजे
शृंगार : सुबह 10.15 से 11 बजे
राजभोग झांकी : सुबह 11.45 से 12.15 बजे तक
वहीं, शाम की झांकियों का समय यथावत रहेगा।
हिन्दू धर्म के अनुसार पूरे वर्ष को छह ऋतुओं में बांटा गया है। ग्रीष्म ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु, शिशिर ऋतु, वर्षा ऋतु और वसंत ऋतु। सरस्वती पूजा का मौसम बसंत ऋतु का माना गया है। इस मौसम में कई तरह के फूल खिलते हैं। बसंत ऋतु में पेड़ों और पौधों पर नई कोंपलें निकलती हैं। हिन्दू धर्म में इस दिन का खास ही महत्व है। तो आइए, आपको इस पूजा से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में बताते हैं। जानिए, आखिर यह पूजा क्यों की जाती है और क्यों विशेष रूप से सरस्वती की इस दिन आराधना होती है।
यों तो माघ का यह पूरा मास ही उत्साह देने वाला है, पर वसंत पंचमी का पर्व भारतीय जनजीवन को अनेक तरह से प्रभावित करता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है। जो शिक्षाविद भारत और भारतीयता से प्रेम करते हैं, वे इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं। कलाकार चाहे वे कवि हों या लेखक, गायक हों या वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सब दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं।