बीसीसीआई बनाम डब्ल्यूएसजी : ललित मोदी-डब्ल्यूएसजी को करार और गड़बडिय़ों को छिपाने को दोषी माना
जयपुरPublished: Jul 13, 2020 11:29:14 pm
डब्ल्यूएसजी के साथ विदेशी मीडिया अधिकारों के करार को खत्म करने का फैसले कायम रखा
नई दिल्ली। बीसीसीआई के लिए एक अच्छी खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश (सेवानिवृत) सुजाता मनोहर, मुकुंथकम शर्मा और एस. एस. निज्जर की सदस्यता वाले एक पंच न्यायाधिकरण ने बीसीसीआई द्वारा 28 जून 2010 को वल्र्ड स्पोट्र्स ग्रुप (डब्ल्यूएसजी) के साथ विदेशी मीडिया अधिकारों के करार को खत्म करने के फैसले को कायम रखा है। बीसीसीआई के एक पूर्व अधिकारी ने एजेंसी से कहा कि यह फैसला इस मामले में बीसीसीआई की अवस्थिति को सही ठहराता है।
ललित मोदी-डब्ल्यूएसजी से मिलकर की थी 425 करोड़ की धोखाधड़ी
बीसीसीआई अधिकारी ने कहा, यह प्रासंगिक है कि न्यायाधिकरण ने बीसीसीआई की इस बात को स्वीकार कर लिया है कि ललित मोदी इस मामले में किए गए करार को छिपाने के और साथ ही डब्ल्यूएसजी मॉरीशस के तत्कालीन पदाधिकारियों द्वारा की गई गड़बडिय़ों को भी छिपाने के दोषी थे। बीसीसीआई ने आरोप लगाया था कि उस समय की आईपीएल गर्विनिंग काउंसिल के चेयरमैन ललित मोदी ने डब्ल्यूएसजी के अधिकारियों के साथ मिलकर बीसीसीआई के साथ 425 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है। उस समय के बीसीसीआई के सचिव एन. श्रीनिवासन सहित बीसीसीआई के अधिकारियों ने इस पर कड़ा रुख अख्तियार किया था। इस आर्बिट्रल अवार्ड ने बीसीसीआई को एस्क्रो में पड़ी राशि का इस्तेमाल करने की अनुमति दी। यह राशि 800 करोड़ रुपए से ज्यादा है।
कार्रवाई की मांग
बीसीसीआई का प्रतिनिधत्व कर रहे सीनियर वकील पी. रघु रमन ने कहा, अब इस फैसले ने यह साफ कर दिया है कि ललित मोदी और डब्ल्यूएसजी ग्रुप के अन्य लोगों ने धोखाधड़ी की थी, इसलिए बीसीसीआई ने इन लोगों के खिलाफ जो पुलिस शिकायत की थी, उस पर कार्रावाई की जानी चाहिए।