scriptRajasthan Power Crisis: ‘कोयला की कमी बना राष्ट्रीय संकट, हम समय पर भुगतान कर रहे’ | bd kalla on Rajasthan Power Crisis | Patrika News

Rajasthan Power Crisis: ‘कोयला की कमी बना राष्ट्रीय संकट, हम समय पर भुगतान कर रहे’

locationजयपुरPublished: Oct 14, 2021 08:55:58 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

Rajasthan Power Crisis: ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा है कि प्रदेश में कोयला संकट के चलते बिजली उत्पादन में आई कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार केन्द्रीय ऊर्जा एवं कोल मंत्रालय से लगातार बातचीत कर रही है।

bd kalla on Rajasthan Power Crisis

Rajasthan Power Crisis: ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा है कि प्रदेश में कोयला संकट के चलते बिजली उत्पादन में आई कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार केन्द्रीय ऊर्जा एवं कोल मंत्रालय से लगातार बातचीत कर रही है।

जयपुर। ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा है कि प्रदेश में कोयला संकट के चलते बिजली उत्पादन में आई कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार केन्द्रीय ऊर्जा एवं कोल मंत्रालय से लगातार बातचीत कर रही है। कल्ला ने बताया कि वास्तविकता में यह देखा जाए तो प्रदेश के थर्मल पॉवर प्लांट्स में विद्युत उत्पादन में गिरावट बिजली का नहीं बल्कि कोयले का संकट है, जो केन्द्र सरकार के स्तर पर कोयले की आपूर्ति में कमी के कारण उत्पन्न हुआ है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोल इंडिया की कंपनियों का राज्य सरकार में कोई बकाया नहीं है, कोयले की सप्लाई की एवज में राजस्थान समय पर भुगतान कर रहा है।
विद्युत उत्पादन पर पड़ा विपरित असर
ऊर्जा मंत्री डॉ. कल्ला ने अपने बयान में कहा कि भारत सरकार द्वारा कोयले का राष्ट्रीयकरण किया हुआ है। केन्द्र सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह राज्यों को एग्रीमेंट और मांग के अनुरूप कोयले की सप्लाई समय पर करे। लेकिन कोल इंडिया लिमिटेड की कम्पनियों द्वारा पिछले कई दिनों से अनुबंध में प्रतिदिन के लिए निर्धारित रेक के अनुसार कोयले की दैनिक आपूर्ति नहीं किए जाने के कारण न केवल राजस्थान में बल्कि देश के कई अन्य राज्यों के थर्मल पावर जनरेशन प्लांट्स में विद्युत उत्पादन पर विपरीत असर पड़ा है। एक तरह से थर्मल पावर जनरेशन प्लांट्स के लिए कोयले की कमी राष्ट्रीय संकट बन गया है।
एग्रीमेंट से आधा कोयला मिल रहा
डॉ. कल्ला ने बताया कि कोल इंडिया की दो कंपनियों एनसीएल तथा एसईसीएल के साथ राजस्थान का प्रतिदिन 11.5 रैक कोयले की आपूर्ति का एग्रीमेंट है। लेकिन खदानों में बारिश का पानी भरने के कारण पिछले काफी समय से राजस्थान को यहां के थर्मल प्लांट्स की दैनिक मांग की तुलना में औसतन 5.38 रैक प्रतिदिन (1 अक्टूबर से 13 अक्टूबर) की ही आपूर्ति की जा रही है। ऐसे में हमारी थर्मल इकाईयों के लिए स्टॉक किस प्रकार रखा जा सकता है। जब दैनिक मांग की पूर्ति आपूर्ति भी कोल इंडिया की इन दो कंपनियों द्वारा नहीं की जा रही हो। यदि कोयला मंत्रालय राज्य को एग्रीमेंट के अनुसार कोयला रेक की आपूर्ति करे तो संकट समाप्त हो जाएगा।
कोई पैसा बकाया नहीं
कल्ला ने बताया कि कोल इंडिया की कम्पनियों का राज्य सरकार में भुगतान बकाया है। ऐसी भ्रामक बातों को प्रचारित किया जा रहा है। वास्तविकता में नेशनल कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) का कोई पैसा बकाया नहीं है। इस कम्पनी को सितम्बर 2021 से अग्रिम भुगतान किया जा रहा है। गुणवत्ता में कमी का 459 करोड़ रुपए का भुगतान एसईसीएल को करना है जो कि दिसम्बर 2018 से वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र (एडीआरएम) के निपटारे के तहत बाकी चल रहा है। फिर भी एसईसीएल की ओर से भुगतान या अग्रिम भुगतान के बारे में कहा जाएगा उस पर समयबद्ध कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने बताया कि एनसीएल एवं एसईसीएल ने पिछले दिनों में जो कम आपूर्ति की है, उसके मासिक बैकलॉग के आधार पर बकाया रेक उपलब्ध कराई जाती है तो प्रदेश की थर्मल यूनिट्स में कोयले का स्टॉक रखा जा सकता है।
राजस्थान को 11 रैक प्रतिदिन की एवज में मिला कोयला
1 व 2 अक्टूबर को 4-4 रैक
3 अक्टूबर को 5 रैक
4 अक्टूबर को 6 रैक
5 अक्टूबर को 4 रैक
6 अक्टूबर को 7 रैक
7 अक्टूबर को 6 रैक
8 से 10 अक्टूबर को 5-5 रैक
11 अक्टूबर को 6 रैक
12 अक्टूबर को 7 रैक
13 अक्टूबर को 6 रैक
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो