scriptआगे बढऩा है तो डायनसोर नहीं कॉकरोच बनिए : चेतन भगत | be a cockroach for success not dinosaur | Patrika News

आगे बढऩा है तो डायनसोर नहीं कॉकरोच बनिए : चेतन भगत

locationजयपुरPublished: Dec 29, 2018 06:12:18 pm

-पिकसिटी पहुंचे राइटर चेतन भगत ने जेसीआई के 63वें नेशनल कन्वेंशन में की शिरकत

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हम अक्सर दूसरों को क्रिटिसाइज करने में अपना प्रिशियस टाइम गंवाते हैं। जबकि अगर उस टाइम में हम खुद के लिए कुछ करें तो सिनेरियो ही कुछ और होगा। आप खुद को डवलप करने में इतने मशगूल हो जाओ कि आपके पास किसी और की आलोचना करने के लिए समय ही ना बचे। ये कहना था मशहूर राइटर चेतन भगत का, वे गुरुवार को बिड़ला ऑडिटोरियम में जेसीआई के 63वें नेशनल कन्वेंशन में बोल रहे थे। भगत का कहना था कि जीवन में बदलाव के लिए हमेशा तैयार रहिए, इससे आपकी खुशी जुड़ी है। चेतन भगत ने अपने राइटिंग कॅरियर की शुरुआत के बारे में बोलते हुए बताया कि जब 2004 में इंडिया बदलाव के दौर से गुजर रहा था, लोग कम्प्यूटर और फोन का यूज करने लगे थे, तब देश में इंग्लिश बोलने और सीखने का भी ट्रेंड चलने लगा था। उस समय बहुत से लोग सलमान रूश्दी या निरूपमा रॉय को नहीं पढ़ सकते थे। तब मैंने सिंपल कहानियां लिखना शुरू किया, सीधे और सरल इंडियन्स की सीधी और सरल कहानियां। मेरी पहली बुक ‘फाइव पॉइंट समवन’ (2004) को लेकर बहुत से बड़े राइटर ने मुझे क्रिटिसाइज किया, लेकिन मेरी पहली बुक का रेस्पॉन्स था कि उसकी हजार-दो हजार कॉपी नहीं, पूरी 13 लाख कॉपी बिकी थी और उसे बेस्ट सेलिंग बुक का भी अवॉर्ड मिला था।
अंबानी-अमिताभ के जैसा पैशन जरूरी
भगत ने ऑडिटोरियम में मौजूद जेसीआई मेंबर्स को मोटिवेट करते हुए कहा कि लाइफ मेें कभी सैटल नहीं होना चाहिए, मतलब रूकना नहीं चाहिए। उन्होंने अंबानी, अमिताभ का उदाहरण देते हुए बताया कि ये लोग आज भी काम कर रहे हैं, क्योंकि इनका काम ही इन्हें खुशी देता है, यही से इन्हें इंस्पीरेशन मिलती है। ठीक ऐसे ही हमें लाइफ में बदलाव का स्वागत करना चाहिए, बदलाव से डरना नहीं चाहिए। उन्होंने डार्विन के सिद्धांत का उदाहरण देते हुए समझाया कि वहीं जीव जीवित बचे, जिन्होंने खुद में बदलाव किया
बदलाव करते रहेंगे तो जिंदा रहेंगे
इस दौरान चेतन भगत ने उपस्थित लोगों से कहा कि डायनसोर नहीं कोकरोच बनने में विश्वास रखिए। धरती पर सबसे पहले डायरसोर ही आए थे, लेकिन वे समय के साथ नहीं बदले और खत्म हो गए, लेकिन कोकरोच तब से आज तक है, क्योंकि ये किसी भी परिस्थित में ढल जाते हैं। कॉकरोच जंगल, घर, सर्दी-गर्मी, कार सभी जगह रह लेते हैं। ठीक ऐसे ही आप भी खुद में बदलाव करते रहेंगे तो आप सबसे आगे होंगे, नहीं तो आपका हाल भी डायनसोर की तरह होगा।
खुद को बुढ़ा कहना छोडऩा होगा।
उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो हमें ये कहना छोडऩा होगा कि यार अब मेरी उम्र हो गई या ये काम तो बच्चों के करने के हैं। हम अक्सर 40 के बाद खुद को थका हुआ और दुनिया की रेस से बाहर समझने लगते हैं, लेकिन हमें देश के पॉलिटिशन से कुछ सीखना चाहिए कि वे इतनी ऐज में सत्ता और कुर्सी के लिए पूरी एनर्जी के साथ लगे हुए हैं, काम कर रहे हैं। जब वो 70-80 की उम्र में इतनी एनर्जी ला सकते है, तो हम 40 में बुढ़े कैसे हो गए।
जेसीआई मेंबर्स को किया सम्मानित
इससे पहले ऑडिटोरियम में जूनियर चैंबर इंटरनेशनल (जेसीआई) इंडिया के 63वें नेशनल कॉन्क्लेव नैटकॉन-2018 की विधिवत शुरुआत की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अर्पित हाथी ने की। कार्यक्रम के दौरान जेसीआई के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्षों और सदस्यों को सम्मानित किया गया और अंत में राजस्थान नाइट का आयोजन किया गया, जहां जेसीआई मेंबर्स सहित अतिथियों ने लजीज राजस्थानी व्यंजनों का लुत्फ उठाया। कार्यक्रम की शुरुआत में बच्चों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए गए।

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