सरकारों को भी उसी तरह के फैसले लेने होंगे। आज भी हमारी सरकारें सोशलिज्म से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई हैं। बदलाव का प्रतिरोध तो होगा ही। 1991 के दशक में भी हुआ और आज खेती के बाजार (एग्रीकल्चर मार्केटिंग) में किए सुधार का हो रहा है। लेकिन बदलाव तो करने होंगे। बहुत से काम हैं जिनमें सरकार के होने की कोई जायज वजह नहीं है। सरकार एयरलाइन या टेलीकॉम कंपनी क्यों चला रही है? इन क्षेत्रों से आप बाहर आएंगे तो देश का विकास होगा। कारोबार सरकार को नहीं लोगों को करना है। सरकार को इसके लिए सही नीतियां बनानी हैं और नियमन करना है। लोग भी हैं, मौका भी है। होगा तभी जब जरूरी नीतियों के साथ सरकार आगे बढ़ेगी।
जब सब कुछ बदल रहा है। जीने का तरीका, सोचने का तरीका बदल रहा है तो कमाई का तरीका भी बदलेगा। पहले अधिकांश काम कारखानों में होते थे, संपदा यहीं से आती थी। अब इसके लिए तकनीक पर ज्यादा जोर है। लोगों के काम करने के तरीके में भी बदलाव हो रहा है। इसे आत्मसात करना होगा।
अगली तिमाही में स्थिति सामान्य हो जानी चाहिए। मार्च बाद की तिमाही में ग्रोथ भी दिखने लगेगी। नुकसान की भरपाई भी अगले साल हो जानी चाहिए। ऐसा हुआ तो मानिए कि कोरोना से हमारी अर्थव्यवस्था दो साल के लिए ठहरी पर इसके बाद सही माहौल होने से तेजी मिलेगी।