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बदलाव के लिए रहें तैयार, उम्मीदों का खड़ा है संसार

locationजयपुरPublished: Dec 17, 2020 04:16:53 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

हमारी दुनिया आज फटाफट बदलाव की ना सिर्फ साक्षी है बल्कि सक्रिय भागीदार है। इंडस्ट्रियल सोसाइटी अब इंफोर्मेशन सोसाइटी में बदल रही है। इसे आप उत्तर औद्योगिक समाज के नाम से जानें, उत्तर आधुनिक समाज के नाम से या फिर किसी और नाम से।

Be ready for change, world stands for expectations

हमारी दुनिया आज फटाफट बदलाव की ना सिर्फ साक्षी है बल्कि सक्रिय भागीदार है। इंडस्ट्रियल सोसाइटी अब इंफोर्मेशन सोसाइटी में बदल रही है। इसे आप उत्तर औद्योगिक समाज के नाम से जानें, उत्तर आधुनिक समाज के नाम से या फिर किसी और नाम से।

सुभाष चंद्र गर्ग, पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव
हमारी दुनिया आज फटाफट बदलाव की ना सिर्फ साक्षी है बल्कि सक्रिय भागीदार है। इंडस्ट्रियल सोसाइटी अब इंफोर्मेशन सोसाइटी में बदल रही है। इसे आप उत्तर औद्योगिक समाज के नाम से जानें, उत्तर आधुनिक समाज के नाम से या फिर किसी और नाम से। हमारा हिंदुस्तानी समाज बहुत डायनमिक है। यानी हम एक गतिशील समाज हैं जो ऊर्जा से भरे हैं और नए विचारों को अपनाने को तैयार रहते हैं। हमारे जन सबसे युवा हैं।
बीते साल ने समाज के हर क्षेत्र और वर्ग पर जो चोट की है, उसको हम इस संदर्भ में रख कर देखेंगे तो सही आकलन कर सकेंगे। कलेंडर में समाप्त हो रहे साल ने खूब तकलीफें दीं तो नया साल उम्मीदों की रोशनी दिखा रहा है।
सरकारें दिखाएं साहस
सरकारों को भी उसी तरह के फैसले लेने होंगे। आज भी हमारी सरकारें सोशलिज्म से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई हैं। बदलाव का प्रतिरोध तो होगा ही। 1991 के दशक में भी हुआ और आज खेती के बाजार (एग्रीकल्चर मार्केटिंग) में किए सुधार का हो रहा है। लेकिन बदलाव तो करने होंगे। बहुत से काम हैं जिनमें सरकार के होने की कोई जायज वजह नहीं है। सरकार एयरलाइन या टेलीकॉम कंपनी क्यों चला रही है? इन क्षेत्रों से आप बाहर आएंगे तो देश का विकास होगा। कारोबार सरकार को नहीं लोगों को करना है। सरकार को इसके लिए सही नीतियां बनानी हैं और नियमन करना है। लोग भी हैं, मौका भी है। होगा तभी जब जरूरी नीतियों के साथ सरकार आगे बढ़ेगी।
बदल जाएगा कमाई का तरीका
जब सब कुछ बदल रहा है। जीने का तरीका, सोचने का तरीका बदल रहा है तो कमाई का तरीका भी बदलेगा। पहले अधिकांश काम कारखानों में होते थे, संपदा यहीं से आती थी। अब इसके लिए तकनीक पर ज्यादा जोर है। लोगों के काम करने के तरीके में भी बदलाव हो रहा है। इसे आत्मसात करना होगा।
कई वर्ष तक तेज ग्रोथ की संभावना
अगली तिमाही में स्थिति सामान्य हो जानी चाहिए। मार्च बाद की तिमाही में ग्रोथ भी दिखने लगेगी। नुकसान की भरपाई भी अगले साल हो जानी चाहिए। ऐसा हुआ तो मानिए कि कोरोना से हमारी अर्थव्यवस्था दो साल के लिए ठहरी पर इसके बाद सही माहौल होने से तेजी मिलेगी।
इंटरव्यू- मुकेश केजरीवाल

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