कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि तक आयोग के सदस्यों को बुलाकर पूछताछ करने पर रोक लगा दी है। भारत सरकार के सहायक सालीसिटर जनरल ज्ञान प्रकाश ने सीबीआई की तरफ से कोर्ट से कहा कि वह आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों से इस बीच कोई पूछताछ नहीं करेंगें।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोसले तथा न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खण्डपीठ ने उ.प्र लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया है। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है कि लोक सेवा आयोग एक संवैधानिक संस्था है जिसकी जांच नहीं करायी जा सकती।
राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना था कि 31 जुलाई 17 के आदेश को याचिका में चुनौती नहीं दी गयी है। राज्य सरकार के अनुरोध पर केन्द्र सरकार ने 21 नवम्बर 17 को सीबीआई जांच की अधिसूचना जारी की है। कोर्ट ने याची को संशोधन अर्जी के मार्फत 31 जुलाई के आदेश को चुनौती देने की छूट दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि सीबीआई जांच की संस्तुति भेजने के लिए क्या तथ्य है। पूर्व राज्यपाल जे.एफ. रिबेरो व अन्य की जनहित याचिका निस्तारित होने के बाद वर्तमान याचिका में उनकी तरफ से अर्जी दी गयी है।
भारत सरकार की तरफ से ज्ञान प्रकाश ने पक्ष रखा। कोर्ट ने जानना चाहा कि सीबीआई जांच करेगी या विवेचना। यदि विवेचना करेगी तो प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तारी भी कर सकती है। इस पर मनीष गोयल ने कहा कि सीबीआई पहले प्रारम्भिक जांच करेगी और फिर प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना करेगी। कोर्ट ने कहा कि वह जांच कर सकती है किन्तु वह आयोग के सदस्यों से पूछताछ न करे।