सियासत में कभी स्थायी दोस्त और दुश्मन नहीं होते हैं। यह बात लोकसभा ( Loksabha Election ) में भाजपा ने साबित कर दी है। कभी भाजपा नेताओं को खुलेआम भला-बुरा कहने वाले हनुमान बेनीवाल की विधानसभा में दिखी ताकत का अंदाज लगाकर भाजपा ने लोकसभा चुनाव में अपने पाले में कर लिया। वहीं बेनीवाल ने राष्ट्रवाद की बहती बयार का अंदाज लगा लिया और खुद के युवा समर्थकों की बात सुनकर कांग्रेस की बजाय भाजपा का साथ देना मुनासिब समझा। ऐसे में बेनीवाल भी खुले तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ( PM Narendra Modi ) के समर्थन में आ गए।
बेनीवाल ने भाजपा के समर्थन में बाड़मेर, जोधपुर, पाली, राजसमंद, जयपुर ग्रामीण, सीकर जैसे लोकसभा क्षेत्रों में किया। बेनीवाल को कांग्रेस ने हल्के में लिया, जो चुनाव में उसे भारी पड़ गया। बेनीवाल ने सिर्फ नागौर सीट पर चुनाव नहीं जीता, बल्कि आधा दर्जन लोकसभा सीटों पर कांग्रेस की हवा खराब कर दी। यही वजह रही कि मारवाड़ में कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली है।
कैसे मोदी लहर हुई मजबूत
बाड़मेर: बाड़मेर की 7 और जैसलमेर की एक विधानसभा सीट आती है। भाजपा के सिर्फ एक विधायक था। जबकि चार सीट पर रालोपा ने अच्छे-खासे वोट हासिल कर भाजपा को हराने का काम किया था। रालोपा के एनडीए में शामिल होने से इन सीटों पर रालोपा के वोट भाजपा की तरफ शिफ्ट होते दिखाई दिए।
बाड़मेर: बाड़मेर की 7 और जैसलमेर की एक विधानसभा सीट आती है। भाजपा के सिर्फ एक विधायक था। जबकि चार सीट पर रालोपा ने अच्छे-खासे वोट हासिल कर भाजपा को हराने का काम किया था। रालोपा के एनडीए में शामिल होने से इन सीटों पर रालोपा के वोट भाजपा की तरफ शिफ्ट होते दिखाई दिए।
जोधपुर: जोधपुर की 7 और जैसलमेर जिले की पोकरण विस सीट शामिल है। यहां कांग्रेस का कब्जा छह और भाजपा का दो सीट पर है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( Cm Ashok Gehlot ) के पुत्र वैभव गहलोत ( VAIBHAV GEHLOT ) के कांग्रेस प्रत्याशी होने से भाजपा के लिए यह प्रतिष्ठा की सीट थी। रालोपा ने जोधपुर की लूणी और शेरगढ़ विधानसभा में भाजपा को फायदा पहुंचाया है।
नागौर : नागौर को लेकर भाजपा को खासी चिंता थी। यहां पर बेनीवाल भाजपा का खेल बिगाड़ सकते थे। विधानसभा में कांग्रेस के 5, भाजपा के 2 और रालोपा से खुद बेनीवाल विधायक है। भाजपा ने यह सीट बेनीवाल को देकर अन्य सीटों पर फायदा उठा लिया। साथ ही भाजपा के वोट भी नागौर में बेनीवाल को शिफ्ट हो गए। इसके चलते उन्हें बड़े अंतर से जीत मिली।
सीकर : सीकर में भाजपा की स्थिति ठीक नहीं थी। इस लोकसभा की सीकर, नीमकाथाना और चौमू विधानसभा में रालोपा ने करीब 90 हजार से अधिक वोट हासिल किए थे। रालोपा के साथ के चलते यहां भी भाजपा को सीधा फायदा मिला और उसका जीत का अंतर काफी बड़ा हो गया।
पाली : पाली में भाजपा विधानसभा चुनाव में काफी मजबूत होकर उभरी थी। यहां बेनीवाल की पार्टी ने भाजपा की बढ़त को बढ़ाने का काम किया है।