ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक दीक्षित बताते हैं कि आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को भडली नवमी कहा जाता है जोकि अबूझ मुहुर्त माना गया है. इसे आषाढ गुप्त नवरात्रि का अंतिम दिन भी माना गया है. 29 जून को आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है. दरअसल भड़ली नवमी चर्तुमास से पहले आखिरी शुभ तिथि मानी गई है.इस तिथि पर किसी भी शुभ कार्य को किया जा सकता है. दो दिन बाद 1 जुलाई 2020 को देवशयनी एकादशी है जिस दिन भगवान विष्णु विश्राम करने के लिए पाताल लोक में चले जाएंगे. इसी दिन से चार्तुमास आरंभ हो जाते हैं जिसके कारण चार माह तक शुभ कार्य नहीं किए जा सकते हैं. यही कारण है कि भडली नवमी का महत्व बहुत बढ जाता है.
29 जून की नवमी का महत्व
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के मुताबिक अबूझ मुहूर्त वे शुभ मुहूर्त कहलाते हैं जिनमें पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. भड़ली नवमी के अतिरिक्त वसंत पंचमी, फाल्गुन शुक्ल पक्ष की दूज फुलेरा दूज, राम नवमी, जानकी नवमी, वैशाख पूर्णिमा, गंगा दशमी और अक्षय तृतीया को भी अबूझ मुहूर्त माना गया है. सोमवार होने से भडली नवमी का महत्व बढ गया है. सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है. चार्तुमास में सृष्टि की बागडोर भगवान शिव के हाथों में ही आ जाती है. 29 जून की रात्रि 12 बजकर 35 मिनट से नवमी तिथि आरंभ हो चुकी है.