-संघ में नहीं रही ऐसी परंपरा बाद में विहिप के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने कहा कि संघ के शीर्ष पदाधिकारी किसी ट्रस्ट का खुद हिस्सा बनने में विश्वास नहीं रखते। संघ में ऐसी परंपरा भी नहीं रही है। संघ प्रमुख के सामने अगर कोई प्रस्ताव रखेगा भी तो वह इनकार कर देंगे।
-महंत परमहंस महाराज ने की थी मांग बीते दिनों महंत परमहंस महाराज ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि इसके लिए वे यानी महंत परमहंस अनशन पर भी बैठ सकते हैं।
-समाज के काम को समाज के लोगों के जरिए ही आगे बढ़ाने में विश्वास ऐसे में विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जब नागपुर दौरे पर पहुंचे तो पत्रकारों ने इससे जुड़ा सवाल कर दिया। जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत को राम मंदिर ट्रस्ट का अध्यक्ष नहीं बनना चाहिए। विहिप के एक पदाधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि संघ के प्रचारक या वरिष्ठ पदाधिकारी समाज के काम को समाज के लोगों के जरिए ही आगे बढ़ाने में विश्वास रखते हैं। खुद ट्रस्ट में पद लेना उन्हें उचित नहीं लगता।
-ट्रस्ट पर राय अलग-अलग अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ होने के बाद उसके लिए बनने वाले ट्रस्ट में दावेदारी की मारामारी शुरू हो गई है। एक ओर राम जन्मभूमि न्यास है जिसके अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास तो न्यास को ही ट्रस्ट बना देने की ख्वाहिश रखते हैं, तो वहीं अयोध्या के दूसरे साधु संत नए ट्रस्ट की वकालत कर रहे हैं, लेकिन वो ट्रस्ट कैसा हो इसे लेकर राय बंटी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ट्रस्ट बनाने की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार को सौंपी है, लेकिन ट्रस्ट में दावेदारी के नाम पर फू ट पड़ गई है। राम मंदिर पर पिछले तीन दशक में राजनीतिक आंदोलन वीएचपी के दबदबे वाले राम जन्मभूमि न्यास ने चलाया। अब जब फैसला राममंदिर के पक्ष में है तो न्यास की दलील है कि अयोध्या पर नए ट्रस्ट की जरूरत ही नहीं।