शर्मा रामगढ़ स्थित अपने फार्म हाउस पर रहते थे। उनका शव शाम को जयपुर के गणगौरी बाजार स्थित पैतृक आवास लाया गया जहां नेताओं और कार्यकर्ताओं ने श्रद्धांजलि दी। उनका अंतिम संस्कार
भंवरलाल शर्मा प्रदेश में भैरोंसिंह शेखावत की सरकार में तीन बार केबीनेट मंत्री रहे थे। उन्होंने हवामहल विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार 1977,1980,1985,1990, 1993 और 1998 में विधायक का चुनाव लड़ा और विजयी रहे थे।
पांच बार 1977,1980,1985,1990 और 1993 में विधायक का चुनाव लड़ा और विजयी रहे थे।
लॉकडाउन के दौरान पीएम4 नरेन्द्र मोदी ने भंवरलाल शर्मा से बातचीत की थी। शर्मा ने 22 मई को अपनी शादी की 71वीं सालगिरह मनाई थी। शर्मा की पुत्री मंजू शर्मा को भाजपा ने वर्ष 2008 में विधानसभा चुनाव का टिकट दिया था। लेकिन भंवरलाल शर्मा ने अपने आप को यह कहते हुए अलग कर लिया कि वे राजनीति से सन्यास ले चुके हैं इसलिए चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। न ही किसी से वोट मांगेगे। भाजपा नेताओं और परिजनों के कहने के बावजूद वे चुनाव में प्रचार के लिए नहीं गए। इस चुनाव में उनकी पुत्री को कांग्रेस के दिग्गज नेता नवलकिशोर के पुत्र बृजकिशोर से हार का सामना करना पड़ा था।
भंवरलाल शर्मा के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी, मुरलीमनोहर जोशी, सहित कांग्रेस के नेताओं से भी अच्छे संबंध रहे हैं। वे राजनीति में शुचिता के पक्षधर रहे हैं। भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ ने बताया कि शर्मा के जीवन में कभी कोई दाग नहीं लगा। वे चुनाव भी मितव्ययता से लड़ते थे।
भंवरलाल शर्मा जनसंघ की स्थापना से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे। वे 1964 में पहली बार 28 साल की उम्र मे जयपुर नगर परिषद के अध्यक्ष बने । लेकिन परिषद मे व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध इस्तीफा दे दिया था। शर्मा जनसंघ के जयपुर शहर , देहात के भी रहे थे। अध्यक्ष रहे। 1980 में भाजपा विरोधी लहर के बावजूद शर्मा हवामहल विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव जीते थे। 1989 सीकर अधिवेशन मे भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बने