कार्यक्रम की शुरुआत स्तुति के साथ हुई जो भरतनाट्यम प्रस्तुति में पहला नृत्य है, जिसके द्वारा भगवान गणेश और देवी सरस्वती की वंदना की जाती है।इसके बाद नृत्यांगनाओं ने मार्गम का प्रदर्शन किया जो कि भरतनाट्यम नृत्य प्रस्तुति में किए जाने वाला पारंपरिक पाठ्यक्रम है। इसके बाद नृत्यांगनाओं ने अलरिप्पु कौत्तुवमश्, शब्दम, जतिस्वरम कीर्तनं की प्रस्तुती दी। साथ ही, मार्गम में शुद्ध नृत्य के साथ श्री कृष्ण की लीलाएं और विष्णु के मोहिनी अवतार की कथा का सुन्दर चित्रण किया गया। प्रस्तुति का समापन भरतनाट्यम और रैप फ्यूजन के एक नृत्य प्रयोग के साथ हुआ। पारंपरिक और आधुनिक नृत्य तकनीकों के बीच की दूरी को पार करते हुएए फ्यूजन में बॉलीवुड गानों पर प्रस्तुति दी गई। इस प्रस्तुति में समाज में आर्थिक रूप से मजबूत और शक्तिशाली लोगों द्वारा कमजोर वर्गों पर किए गए अन्याय को दर्शाया गया, जिनके पास कुछ भी नहीं है और जो अपनी आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं। नृत्य में कहानी के माध्यम से नृत्यांगनाओं ने ऐसे अत्याचारों से आजादी के लिए अपनी लड़ाई का प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन भरतनाट्यम के शुद्ध पारंपरिक रूप के साथ मिश्रित एक व्यंग्यात्मक चित्रण था।