बंशी पहाड़पुर में पिंक सैण्डस्टोन की खानें 1996 तक संचालित थी लेकिन इस क्षेत्र को वन अभयारण्य में मानते हुए 12 दिसंबर 1996 को रोक लगा दी गई थी। इसके बाद खान विभाग ने सभी खान लीजों को निरस्त कर दिया था लेकिन फिर भी अवैध खनन जारी रहा।
गुलाबी पत्थर की मांग इन दिनों उत्तरप्रदेश के अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के लिए ज्यादा है। पिछले दिनों यहां राज्य सरकार ने अवैध खनन पर कार्रवाई की तो पत्थर की आपूर्ति अयोध्या के लिए बंद हो गई थी। ऐसे में हिन्दू संगठनों ने राज्य सरकार को मंदिर विरोधी बताते हुए विरोध करना शुरू कर दिया था। जबकि राज्य के अधिकारियों का तर्क था कि यहां खनन चालू होने से प्रदेश के राजस्व में वृद्धि होगी।
राज्य सरकार ने इस क्षेत्र को अभयारण्य से बाहर निकालने का प्रस्ताव जिला कलक्टर के जरिए मंगाया, जिसे स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने मंजूरी दे दी। हालांकि बैठक नहीं होने के कारण सदस्यों से मंजूरी सर्कुलेशन के जरिए ली गई। बाद में इसे पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया। राज्य के वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्टैंडिंग कमेटी की गुरुवार को केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में हुई बैठक में मंजूरी दे दी गई।
सूत्रों की मानें तो बंशी पहाड़पुर के पिंक स्टोन खनन क्षेत्र के अभयारण्य क्षेत्र से बाहर होने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद खान विभाग खानों का आवंटन करेगा। लेकिन खनन शुरू करने से पहले लीज होल्डर को वन विभाग से भी मंजूरी लेनी होगी।
बंशी पहाड़पुर की पहाडिय़ों में निकलने वाला पिंक स्टोन मजबूत और आकर्षक है। ऐसा पत्थर अन्य किसी प्रदेश में नहीं है। यह अयोध्या में राम मंदिर सहित अन्य कई मंदिरों में उपयोग हो चुका है। दिल्ली के लाल किले सहित अन्य कई इमारतों में भी यह उपयोग में लिया जा चुका है। खासियत यह भी बताई जाती है कि पानी के साथ इसमें और ज्यादा निखार आता है।
अभयारण्य की बाउंड्री लाइन का मामला चल रहा है। स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड से नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड में प्रस्ताव भेजा जा चुका है। वहां अभी इसे लेकर क्या हुआ, इसकी अभी जानकारी नहीं मिली है।
– एमएल मीणा, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, राजस्थान