बचपन में एक वक्त के भोजन के लिए किया संघर्ष, अब अमरीका की कंपनी में वैज्ञानिक
जयपुरPublished: Nov 13, 2022 10:56:14 pm
इरादों की बुलंदी : महाराष्ट्र के आदिवासी युवक ने बदले परिवार के हालात


बचपन में एक वक्त के भोजन के लिए किया संघर्ष, अब अमरीका की कंपनी में वैज्ञानिक
नागपुर. कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली के एक सुदूर गांव के भास्कर हलामी (44) इसकी मिसाल हैं। कुरखेड़ा तहसील के चिरचडी गांव में आदिवासी समुदाय में पले-बढ़े हलामी को बचपन में एक वक्त के भोजन के लिए संघर्ष करना पड़ता था। अब वह अमरीका के मैरीलैंड में बायोफार्मास्युटिकल कंपनी सिरनामिक्स इंक के अनुसंधान और विकास खंड में वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। कंपनी आनुवंशिक दवाओं में अनुसंधान करती है।
हलामी विज्ञान स्नातक, स्नातकोत्तर डिग्री और पीएचडी वाले चिरचडी गांव के पहले व्यक्ति हैं। कभी उनके परिवार की आर्थिक हालत बेहद खस्ता थी। परिवार के पास छोटा खेत था। उसमें फसल नहीं होती थी। हलामी ने बताया, हम महुआ के फूल पकाकर खाते थे। कभी-कभी परसोद (जंगली चावल) इकट्ठा करते थे और पेट भरने के लिए इसके आटे को पानी में पकाते थे। यह हालत सिर्फ हमारी नहीं थी, गांव के 90 फीसदी लोग इसी तरह बसर करते थे। हलामी के माता-पिता घरेलू सहायक के रूप में काम करते थे।