script‘भूल भुलैया 2’ की ‘रूह’ है किरदारों की धमा-चौकड़ी… मजा तो आना है | Bhool Bhulaiyaa 2 Movie Review | Patrika News

‘भूल भुलैया 2’ की ‘रूह’ है किरदारों की धमा-चौकड़ी… मजा तो आना है

locationजयपुरPublished: May 21, 2022 01:06:51 am

Submitted by:

Aryan Sharma

डायरेक्शन: अनीस बज्मीस्टोरी-स्क्रीनप्ले: आकाश कौशिकडायलॉग्स: फरहाद सामजी, आकाश कौशिकस्टार कास्ट: कार्तिक आर्यन, कियारा आडवाणी, तब्बू, राजपाल यादव, संजय मिश्रा, राजेश शर्मारन टाइम: 143 मिनट
 

'भूल भुलैया 2' की 'रूह' है किरदारों की धमा-चौकड़ी... मजा तो आना है

‘भूल भुलैया 2’ की ‘रूह’ है किरदारों की धमा-चौकड़ी… मजा तो आना है

आर्यन शर्मा @ जयपुर. ‘भूल भुलैया’ फ्रेंचाइजी की अनीस बज्मी निर्देशित फिल्म ‘भूल भुलैया 2’ हॉरर-कॉमेडी है। 2007 में आई प्रियदर्शन की फिल्म ‘भूल भुलैया’ का ‘मंजूलिका’ का किरदार इसमें जरूर है, लेकिन यह उससे इतर है। ‘भूल भुलैया 2’ की कहानी, स्टार कास्ट और निर्देशक सब ‘नए’ हैं। यानी स्टार कास्ट में से इस फिल्म में राजपाल यादव को ही रिपीट किया गया है। यह अनीस बज्मी स्टाइल की फिल्म है, ऐसे में स्क्रीन पर जो चल रहा है, उसके बारे में दिमाग लगाना शुरू किया तो बैठे-बिठाए मजा किरकिरा हो सकता है। फिल्म में कहानी की सिचुएशन, किरदारों की धमा-चौकड़ी और कॉमिक पंच हंसने-मुस्कुराने का मौका देते हैं।

सालों बाद खुलता है हवेली का बंद दरवाजा
कहानी में रूहान रंधावा (कार्तिक आर्यन) और रीत (कियारा आडवाणी) की एक्सीडेंटल मुलाकात होती है। रूहान ट्रैवलर है। जीवन का हर पल खुलकर जीने में यकीन रखता है जबकि रीत अपने घर लौट रही है, जहां उसकी शादी की तैयारी चल रही है। रूहान के कहने पर वह अपनी बस छोड़ देती है। आगे जाकर बस का एक्सीडेंट हो जाता है, इसमें सवार कोई भी व्यक्ति नहीं बचता। जब रीत अपनी सलामती की सूचना देने के लिए घर फोन करती है तो जाने-अनजाने उसे पता चल जाता है कि उसके मंगेतर से उसकी बहन त्रिशा प्यार करती है। रीत अपनी बहन की शादी होते देखना चाहती है। ऐसे में वह अपने घर नहीं लौटती ताकि घर-परिवार को यह भरोसा हो जाए कि वह अब इस दुनिया में नहीं है। रीत, रूहान के साथ उस हवेली में आ जाती है, जहां 18 साल पहले उसकी फैमिली रहती थी। इस हवेली के एक कमरे में मंजूलिका की आत्मा को तंत्र-मंत्र की मदद से बंद कर दिया गया था, तब से हवेली बंद है…।

‘रूह बाबा’ की कलाकारी और तब्बू का चला ‘जादू’
कहानी सिंपल है, नयापन कुछ नहीं है। स्क्रीनप्ले डगमगाता है, पर इसे एंगेजिंग बनाए रखा है। निर्देशक अनीस बज्मी ने अपने तरीके के ट्रीटमेंट से कहानी की कमियों को दरकिनार कर फिल्म को मनोरंजन के ट्रैक से ज्यादा भटकने नहीं दिया। संपादन ढीला है। इस कारण फिल्म की लंबाई थोड़ी अखरने लगती है। संगीत में दम नहीं है। बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है। लोकेशंस और सिनेमैटोग्राफी कमाल की है। परफॉर्मेंस की बात करें तो कार्तिक आर्यन पूरे कॉन्फिडेंस के साथ ‘रूह बाबा’ के अवतार में हैं और वह जंचे भी हैं। कियारा की अदायगी ठीक है। हालांकि उनको प्रॉपर स्क्रीन स्पेस नहीं मिला। तब्बू ने एक बार फिर उम्दा अदाकारी की बानगी पेश की है। वह फिल्म की ‘रूह’ हैं। राजपाल यादव, संजय मिश्रा, राजेश शर्मा और अश्विनी कलसेकर अपनी फनी हरकतों से एंटरटेन करते हैं, पर जरा लाउड लगते हैं। अमर उपाध्याय और मिलिंद गुनाजी कुछ खास नहीं करते। बहरहाल, भुतहा हवेली में होने वाली धमा-चौकड़ी के आनंद के लिए इस ‘भूल भुलैया’ में घुस सकते हैं।
रेटिंग: ***

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो