4 महीने पहले मिली थी इसकी सूचना नकली दवाओं के बारे में स्वास्थ्य विभाग को करीब चार महीने पहले सूचना मिली थी। चार महीने तक औषधि नियंत्रक टीम ने करीब दो दर्जन से भी ज्यादा दुकानों का सर्वे किया। विभाग ने पाया कि इन्फेक्शन होने पर ली जाने वाली दो सौ एमजी टैबलेट नकली है। जिफी नाम की इस दवा को टीम ने कई दुकानों से बरामद किया है। मामले की गंभीरता देखते हुए ड्रग कंट्रोलर विभाग ने कुछ मेडिकल स्टोर मालिकों के खिलाफ ठगी और अन्य धाराओं में मामला दर्ज कराया है।
सीकर में भी कार्रवाई ड्रग कंट्रोलर ने बताया कि जिफी दवा के बारे में मेडिकल स्टोर मालिकों से पता चला कि ये टेबलेट अजमेर में किसी हरीश मेडिकल से खरीदी थी। इसके बाद विभाग ने उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया। इन दवाओं को लेकर सीकर के अजीतगढ़ में भी कार्रवाई की गई। बता दें कि प्रदेश में दवा बनाने की फैक्ट्रियां बहुत कम है जबकि हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखण्ड, सिक्किम, गुजरात, महाराष्ट्र व कर्नाटक में दवा बनाने की फैक्ट्रियों की भरमार है। जहां से नकली दवाओं का कारोबार होता है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों प्रदेश नकली दवाओं को लेकर बड़ा खुलासा हुआ था, जिसमें जानकारी के मुताबिक, नकली दवाओं के साथ-साथ एक्सपायर हुई दवाओं पर नई मुहर लगाकर फिर से बाजार में बेचा बेचने का बिना रोक चल रहा था। तो वहीं राजस्थान में नकली दवा बनाने का एक ही मामला जयपुर के दुर्गापुरा स्थित अव्या हैल्थ केयर का नाम सामने आया था। जिसके बाद ड्रग कंट्रोल विभाग ने इसे रोकने के लिए सतर्कता भी दिखाई।