विभाग ने इसे गंभीरता से लिया है और इस धारणा को तर्क संगत नहीं बताते हुए उस संयुक्त गाइड लाइन का हवाला दिया है जो चिकित्सा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग दोनों के लिए समान रुप से जारी की गई है। विभाग की मानें तो फील्ड एवं मिशन इंद्रधनुष के निरीक्षण के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की इस गलत धारणा का पता चला। इसके बाद सभी डिप्टी डायरेक्टर्स को पत्र जारी कर इस गफलत को दूर करने के निर्देश जारी किए गए। साथ ही उन्हें ये भी बताया गया कि विभाग की छह प्रमुख सेवाओं में टीकाकरण एक प्रमुख घटक है। और सभी फील्ड कार्यकर्ताओं जिसमें आशा सहयोगिनी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं शामिल है इनके माध्यम से ही टीकाकरण किया जाएगा। विभाग की निदेशक शुचि शर्मा ने सभी जिलों में इस गलत धारणा को खत्म करने और टीकाकरण समय पर सुनिश्चित कराने के निर्देश जारी किए है।
संयुक्त गाइड लाइन में ये है प्रावधान— टीकाकरण के लिए परिवार को जागरुक करना , सभी सीडीपीओ चिकित्सा अधिकारी से माइक्रो प्लान लेंगे , टीकाकरण रिकॉर्ड को अपडेट करना , निरीक्षण के दौरान ड्यूटी लिस्ट व सर्वे रजिस्टर की जांच करना
फैक्ट फाइल— प्रदेश में है तकरीबन 62 हजार केंद्र , लगभग सवा लाख बच्चे आते है इन केंद्रों पर , एक केंद्र पर है 15 से 20 बच्चे पंजीकृत इनका कहना है—
टीकाकरण की योजना चिकित्सा विभाग की है लेकिन पूरे प्रदेश में आंगनबाड़ी केंद्र है। महिला एवं बाल विकास विभाग का नेटवर्क बड़ा है इसीलिए कार्यकर्ताओं पर ये जिम्मेदारी थौप दी गई है। लेकिन इस एवज में उन्हें अतिरिक्त पैसा नहीं दिया जा रहा है। कार्यकर्ताओं पर वर्कलोड बढ़ा दिया गया। इस काम की एवज में मानदेय बढ़ाना चाहिए। छोटेलाल बुनकर, प्रभारी अखिल राज. महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ