जयपुर

बड़ा खुलासा: झुक गया आमेर महल!, जानिए क्यों

— मावठा सूखा तो झुक गया केसर क्यारी का स्ट्रक्चर— अब कंपन नहीं झेल पाएगा आमेर महल — सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रूड़की की टीम कर रही है ग्लास टेस्ट — सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रूड़की की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

जयपुरSep 04, 2019 / 02:00 pm

Pawan kumar

Amber fort jaipur

जयपुर। देश—दुनिया में अपनी खास पहचान रखने वाले आमेर महल की केसर क्यारी का स्ट्रक्चर मावठा की तरफ झुक गया है। इसके कारण केसर क्यारी में बनी क्यारियों में बड़ी दरारें आ गई है। केसर क्यारी का स्ट्रक्चर झुकने का कारण मावठा झील सूखने को माना गया है। आमेर महल का स्ट्रक्चर अब ज्यादा कंपन (वाइब्रेशन) झेलने की स्थिति में नहीं है। ये खुलासा हुआ है सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रूड़की की हेल्थ असेसमेंट आॅफ आमेर पैलेस रिपोर्ट में।
पलिंथ प्रोटेक्शन नहीं हुआ तो ढह सकती है केसर क्यारी

जानकारी के अनुसार आमेर महल की दीवारों और स्ट्रक्चर में आई दरारों को देखते हुए सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रूड़की के विशेषज्ञों की टीम से आमेर महल का हेल्थ असेसमेंट करवाया गया। रूड़की से आई 7 विशेषज्ञों की टीम ने पूरे आमेर महल और केसर क्यारी की जांच की। इसमें पाया गया कि केसर क्यारी के स्ट्रक्चर के मावठा झील वाले हिस्से की नींव मिट्टी ( सॉइल ) पर टिकी है। मावठा झील में भरे पानी के कारण केसर क्यारी के स्ट्रक्चर को मजबूती मिलती थी। लेकिन जैसे ही मावठा में पानी कम होने लगा केसर क्यारी के स्ट्रक्चर में दरारें आने लगी। पानी पूरा सूखते ही स्ट्रक्चर में दरारें आ गई। विशेषज्ञों का कहना है कि मावठा में पानी सूखने के कारण केसर क्यारी का स्ट्रक्चर मावठा झील की तरफ झुक गया है। जिसे केसर क्यारी में खड़े होकर साफ तौर पर देखा जा सकता है। साथ ही केसर क्यारी के मावठा झील वाले हिस्से में बनी दीवार की सपोर्ट के लिए लगे सीमेंटेड बॉक्स 2 से 3 इंच तक जमीन में धंस गए हैं। इस कारण सीमेंटेड बॉक्स की दीवार टूट गई है। रूड़की की टीम ने केसर क्यारी में तत्काल पलिंथ प्रोटेक्शन वर्क करवाने की जरूरत बताई है। ऐसा नहीं होने पर केसर क्यारी स्ट्रक्चर को खतरा होने की बात कही गई है।
ओवरलोड या कंपन झेलने की स्थिति में नहीं आमेर महल

सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रूड़की की रिपोर्ट में कहा गया है कि आमेर महल की दीवारों और स्ट्रक्चर में दरारें आ चुकी हैं। विशेषज्ञों ने माना है कि आमेर महल में दरारों के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें मेटेरियल डीग्रेडेशन, स्थाई—अस्थाई निमार्ण कार्य, विधुतीकरण कार्य के लिए हुई तोड़फोड़, भारी भरकम गतिविधियों से उत्पन्न कंपन और बरसाती पानी का सीपेज शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आमेर महल फिलहाल स्थिर स्थिति में है। लेकिन यहां पर भारी भरकम गतिविधियों जिनसे कंपन ( वाइब्रेशन ) होता हो, उसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। आमेर महल के स्ट्रक्चर में दरारों को देखते हुए कंपन (वाइब्रेशन) खतरनाक साबित हो सकता है।

कांच लगाकर हो रहा टेस्ट
आमेर महल में आई दरारों में बढ़ोतरी हो रही है या नहीं, यह जानने के लिए जगह—जगह कांच लगाकर परीक्षण (ग्लास टेस्ट) किया जा रहा है। यदि कांच के टुकड़े टूट गए या इनमें क्रेक आ गया तो इसका मतलब ये होगा कि आमेर महल की दरारें बढ़ रही हैं। यदि कांच के टुकड़े सुरक्षित रहे तो इसका अर्थ होगा कि दरारें स्थिर हैं और इनमें बढ़ोतरी नहीं हो रही। रूड़की के विशेषज्ञों ने आमेर महल के दरारों की रेगुलर मॉनिटरिंग करने की जरूरत बताई है।

क्या बोले इंजीनियर —

रूड़की की विशेषज्ञ टीम से आमेर महल और केसर क्यारी का हेल्थ असेसमेंट करवाया गया है। केसर क्यारी के स्ट्रक्चर में मावठे की तरफ झुकाव पाया गया है, तो वहीं आमेर महल में दरारें सामने आई हैं। दरारें बढ़ रही हैं या नहीं इसके लिए कांच तकनीक से परीक्षण किया जा रहा है। मावठा में प्लिंथ वर्क करवाया जाएगा, इसके लिए प्लानिंग कर रहे हैं।
बीपी सिंह, एक्सइएन, आमेर महल
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