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बड़े उद्योगों के शुरु होने से श्रमिकों को मिलने लगा है रोजगार

locationजयपुरPublished: May 11, 2020 04:16:25 pm

जयपुर। राज्य में रीको औद्योगिक क्षेत्रों ( industrial areas ) के साथ ही अन्य औद्योगिक क्षेत्रों व ग्रामीण इलाकों ( rural areas ) में स्थापित 210 से अधिक वृहदाकार औद्योगिक इकाइयां ( industrial units ) आरंभ हो गई है। अतिरिक्त मुख्य सचिव ( Additional Chief Secretary Industries ) उद्योग डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि परस्पर समन्वय व सहयोग से औद्योगिक गतिविधियों ( industrial activities ) में तेजी आने का परिणाम है कि प्रदेष में 500 से अधिक खाद्य तेल मिलों ( edible oil mills ) में उत्पादन आरंभ हो गया है

बड़े उद्योगों के शुरु होने से श्रमिकों को मिलने लगा है रोजगार

बड़े उद्योगों के शुरु होने से श्रमिकों को मिलने लगा है रोजगार

एसीएस उद्योग डॉ. अग्रवाल ने बताया कि अडानी विल्मर, काण्डा ऑयल मिल, रुचि सोया, खंडेलिया ऑयल मिल, मणीशंकर ऑयल मिल जैतपुरा, श्री हरी ऑयल मिल, गोयल वेज ऑयल कोटा, शिव एडिवल, भवानी फेट्स, श्री फेट एण्ड प्रोटिन सहित कई खाद्य तेल मिलों में उत्पादन हो रहा है। उन्होंने बताया कि एक मोटे अनुमान के अनुसार इन तेल मिलों में 11,500 से अधिक श्रमिक काम कर रहे हैं।
डॉ. अग्रवाल नेे बताया कि राज्य में फाच्र्यून, महाकोष, ज्योतिकरण, कबीरा, सदाबहार, इंजन जाने माने ब्राण्ड के खाद्य तेल का उत्पादन हो रहा है और इन ब्राण्डों की समूचे देश में पहचान और मांग है। उन्होंने बताया कि जल्दी ही अन्य तेल मिलों में भी उत्पादन आरंभ होने की संभावना है।
तेल मिलों द्वारा लॉक डाउन परिस्थितियों और केन्द्र व राज्य सरकार की एडवाइजरी और स्वास्थ्य सुरक्षा प्रोटोकोल को देखते हुए अपनी उत्पादन क्षमता का करीब 50 प्रतिशत ही उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि धीरे-धीेरे उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में बड़ी संख्या में एमएसएमई उद्योगों ने भी काम शुरु करने की पहल की है। इससे राज्य में औद्योगिक गतिविधियां पटरी पर आने लगी है।
उद्योग आयुक्त मुक्तानन्द अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान सरसों उत्पादन में समूचे देश में अग्रणी है वहीं सोयाबीन और मूंगफली का भी प्रमुख उत्पादक प्रदेश है। उन्होंने बताया कि प्रदेश से जाने-माने ब्राण्डों से सरसों, सोयाबीन और मूंगफली के तेल का उत्पादन हो रहा है। राज्य के तेल की प्रदेश से बाहर भी पहचान और मांग है। राजस्थान के सरसों तेल की बंगाल और बिहार में बहुत अधिक मांग है। आयुक्त अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार के समन्व्ति प्रयासों का ही परिणाम है कि इससे पहले प्रदेश की निंबाहेड़ा की एक इकाई को छोड़कर शेष सभी सीमेंट प्लांटों में काम होने लगा है। प्रदेश में बड़ी तेेल मिलों के साथ ही गांवों व कस्बों में छोटी-छोटी तेल घाणियों से भी तेल का उत्पादन होने लगा है। उन्होंने बताया कि तेल मिलों सहित सभी औद्योगिक इकाइयों को सुरक्षा मानकों की पालना सुनिश्चित करने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि उद्योग विभाग में नियंत्रण कक्ष स्थापित कर उद्यमियों की शंकाओं का त्वरित निस्तारण करवाया जा रहा है।

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