मौजूदा समय में सरकार जबरदस्त वित्तीय संकट से जूझ रही है। योजनाओं के लिए बजट जुटाना तो दूर सरकार कई विभागों में समय पर वेतन तक नहीं दे पा रही है। ऐसे में सरकार के लिए प्रदेश में विभिन्न विभागों में तैनात 1 लाख से ज्यादा संविदाकर्मियों को नियमित करने जैसा फैसला सरकार के लिए आसान नहीं होगा। संविदाकर्मियों की मांगों पर विचार करने के लिए गठित मंत्रिमंडलीय सब कमेटी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बैठक में दो बिंदुओं पर गंभीरता से विचार किया गया। पहला तो संविदा पर तैनात कार्मिकों के वेतन 3 से 4 हजार की बढ़ोतरी की जाए। जिससे सरकार के उपर एक साथ वित्तीय भार नहीं आए। दूसरा कई चरणों में इन संविदा कर्मियों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू की जाए।
सूत्रों की माने तो केबिनेट सब कमेटी जल्द ही इन दोनों बिंदुओं पर मिले सुझावों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अवगत कराएगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आर्थिक संकट से बचने के लिए कार्मिकों के वेतन में 3 से 4 हजार रुपए की बढोतरी कर सकते है। अभी मौजूदा समय में संविदार्कियों को प्रतिमाह 7 से 8 हजार रुपए मासिक वेतन दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार प्रदेश में संचालित महानरेगा योजना में ही 60 हजार से ज्यादा संविदाकर्मी कार्यरत है. इसके अलावा प्रदेश में करीब 24 हजार विद्यार्थी मित्र, 27 हजार पंचायत सहायक, 2400 लोक जुंबिश, 7500 मदरसा, 7500 पैराटीचर, एनआरएचएम कर्मी 4500, 17500 प्रेरक, 4500 कंप्यूटर कर्मी, 1500 फार्मासिस्ट, जनता जल योजना 10 हजार संविदाकर्मी कार्यरत है.