scriptMining : राजस्थान को बड़ी राहत, पीईकेबी खदान का रास्ता साफ | Big relief to Rajasthan, clearing the way for PEKB mine | Patrika News

Mining : राजस्थान को बड़ी राहत, पीईकेबी खदान का रास्ता साफ

locationजयपुरPublished: Oct 03, 2022 12:49:45 pm

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की बिलासपुर बेंच ने राजस्थान सरकार की महत्वपूर्ण खनन परियोजना के खिलाफ अभियान चलाने वालों की एक अन्य संयुक्त याचिका को खारिज कर दिया है।

Mining : राजस्थान को बड़ी राहत, पीईकेबी खदान का रास्ता साफ

Mining : राजस्थान को बड़ी राहत, पीईकेबी खदान का रास्ता साफ

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की बिलासपुर बेंच ने राजस्थान सरकार की महत्वपूर्ण खनन परियोजना के खिलाफ अभियान चलाने वालों की एक अन्य संयुक्त याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने याचिका को खारिज करने के कई कारणों का हवाला दिया और मुख्य रूप से कहा कि केंद्रीय पर्यावरण और वन व ट्राइबल अफेयर्स के मंत्रालयों ने नॉन-फॉरेस्ट्री उपयोग से जुड़े प्रस्ताव के संबंध में 1136 हेक्टेयर वन भूमि के शेष क्षेत्र में, फेज-2 का खनन कार्य शुरू करने के लिए स्वीकृति दी है। इसके अलावा उच्च न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक स्पेशल लीव पिटीशन विचाराधीन है और इसकी सुनवाई 13 अक्टूबर 2022 के लिए तय की गई है।

यह भी पढ़ें

लालमिर्च हुई लाल, पिछले साल के मुकाबले दाम दोगुने

भूमि अधिग्रहण के खिलाफ पांच याचिका खारिज
अदालत का यह फैसला आलोचकों के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि बिलासपुर हाई कोर्ट ने मई में राजस्थान सरकार द्वारा अपने निगम के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ पांच याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिन्हे विभिन्न सेंट्रल और स्टेट अथॉरिटीज से सभी जरुरी अनुमतियां प्राप्त थी। इस मामले की क्रोनोलॉजी का हवाला देते हुए बिलासपुर हाई कोर्ट ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने मार्च 2012 में परसा ईस्ट केते बासन ब्लॉक के लिए वन भूमि के डायवर्जन को मंजूरी दी थी, जिसका कुछ ग्रामीण समूहों द्वारा विरोध किया गया था। लेकिन, फरवरी 2022 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय ने आरआरवीयूएनएल के पक्ष में नॉन-फॉरेस्ट्री उपयोग से जुड़े प्रस्ताव के संबंध में, शेष 1136 हेक्टेयर वन भूमि में फेज-2 का खनन कार्य शुरू करने की मंजूरी दी थी।
यह भी पढ़ें

जीरे का छौंका पड़ेगा महंगा, 300 रुपए किलो तक जा सकते है दाम

थर्मल पावर का प्रमुख स्रोत छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़, देश में भारत का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है और देश के बाकी हिस्सों के लिए थर्मल पावर का प्रमुख स्रोत रहा है। ऐसे में पीईकेबी ब्लॉक में खनन का पहला चरण, बिना किसी कठिनाई के किया गया था, जबकि दूसरे चरण के खनन को भारी बाधा का सामना करना पड़ा है। राजस्थान को 15 अगस्त को खनन परियोजना को रोकना पड़ा, जिससे राजस्थान में बिजली संकट की स्थिति पैदा हो गई थी। इससे जहां एक तरफ सरगुजा के लोगों की नौकरी चली गई है, वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ को भी रॉयल्टी और टैक्स के माध्यम से भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। राजस्थान सरकार को छत्तीसगढ़ में तीन कोयला ब्लॉकों पीईकेबी, परसा और केते एक्सटेंशन को आरआरवीयूएनएल द्वारा चलाए जा रहे पावर प्लांट्स से 4400 मेगावाट बिजली पैदा करने के लिए आवंटित किया गया था। इन तीन खानों में से केवल पीईकेबी को चालू किया गया था, लेकिन यहां से खनन किया गया कोयला, राजस्थान की दैनिक बिजली आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में अन्य दो खदानों को शुरू करने के लिए राज्य सरकारों द्वारा प्रयास किए गए और आरआरवीयूएनएल ने यह सुनिश्चित किया कि सभी कानूनी आवश्यकताएं और पर्यावरणीय मंजूरी, नियत समय में पूरी हो जाएं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो