चिकित्सकों का कहना है कि तंग गलियों में गंभीर रोगियों तक प्राथमिक उपचार पहुंचाने में बड़ी चुनौती यह है कि वहां चौपहिया एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंच पाती। गोल्डन ऑवर सिर्फ हृदयाघात के मरीजों में ही नहीं बल्कि लकवा, पक्षाघात, संक्रमण और अन्य जानलेवा बीमारियों में भी अहमियत रखता है।
पूर्वी दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर बाइक एंबुलेंस सेवा शुरू की गई। इन बाइक एंबुलेंस का नाम फस्ट रिस्पॉन्डर व्हीकल्स रखा गया है। ये एंबुलेंस पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलेंडर, फस्ट एडकिट, जीपीएस और एक क्युनिकेशन डिवाइस से लैस हैं। इससे पूर्व वर्ष 2015 में बेंगलूरु में बाइक एंबुलेंस की सुविधा शुरू हो चुकी है। भुवनेश्वर में भी बाइक एंबुलेंस चल रही हैं। हैदराबाद में भी प्रयोग किया गया है। एक कंपनी ने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हरियाणा आदि राज्यों में भी इसे शुरू करने की मंशा जताई है।
बाइक दमकल की भी जरूरत
एंबुलेंस के साथ कई बार छोटी -छोटी गलियों में दमकल जाने में काफी दिकक्ते आती है ऐसे में छोटी आग काफी विकराल रूप ले लेती है। ऐसी आपात स्थिति में बाइक दमकलों का इस्तेमाल कारगर साबित हो सकता है।
बता दे इंदिरा बाजार में दो दिन पहले ही पटाखे की दुकान में आग की सूचना पर दमकल और ए्बुलेंस मौके पर पहुंची। बाजार में सड़क की चौड़ाई कम थी। ए्बुलेंस सामने से आ रही दमकल से टकरा गई। संकरी सड़क होने के कारण एंबुलेंस को निकालने के लिए खासी मशकक्त करनी पड़ी। एक बार तो वहां रास्ता ही रुक गया। आग से अपना सामान बचाने की जुगत में कुछ व्यापारी झुलस गए। उन्हें लोगों ने अन्य वाहनों से अस्पताल पंहुचाया। इसीलिए सरकार से इस बजट में बाइक एंबुलेंस सुविधा की अपेक्षा की जा रही है।