इस वर्ष बांध सूखने पर बनने के बाद दूसरी बार पूर्णतया सूखेगा। जिससे जयपुर सहित अजमेर व टोंक जिलों व इससे जुड़े 3116 गांव व दो दर्जन से अधिक कस्बे जलापूर्ति को लेकर पेयजल संकट का सामना करेंगे। मगर 2010 में बांध पूर्णतया सूखने के दौरान सरकार की ओर से बनाई गई ब्रम्हाणी को बनास से जोडऩे की योजना पर अब तक कार्य शुरू नहीं हो पाया।
बांध परियोजना एक नजर में- बीसलपुर बांध का शिलान्यास 1985 में तत्कालिन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर व सिंचाई मंत्री परसराम मदेरणा ने किया था। जिसका निर्माण कार्य 1987 में शुरू हुआ था। बांध का निर्माण एक ही चरण में हुआ है जिसमें साधु सिंह व पीसीपीएल कम्पनियों ने निर्माण कार्य किया था। जो 1996 में बनकर तैयार हो चुका था। बांध निर्माण में अब तक कुल लागत 825 करोड़ रूपए हो चुकी है। बांध का कुल जलभराव 315.50 आर एल मीटर है जिसमें कुल 38.708 टीएमसी पानी का भराव होता है। बीसलपुर बांध बनने के बाद पहली बार 2004 में कुल भराव के साथ छलका था। उसके बाद 2006 फिर 2014 व 2016 में पूर्ण भराव के साथ बांध के गेट खुल चुके है।
बांध निर्माण का उद्देश्य- 1996 में बनकर तैयार हुये बांध का मुख्य उद्देश्य जयपुर व अजमेर में जलापूर्ति के साथ ही टोंक जिले में सिंचाई कार्य करना था। जिसमें 16.2 टीएमसी पानी पेयजल के लिए व 8 टीएमसी सिंचाई के आरक्षित रखा गया है। साथ ही 8.15 टीएमसी वाष्पीकरण व अन्य खर्च माना गया है।
जलापूर्ति की स्थिति एक नजर में – बीसलपुर बांध से अभी जयपुर शहर को कटौती के बाद रोजाना 300 एमएलडी पानी सप्लाई किया जा रहा है। इसी से जुडी मालपुरा-दूदू पाइप लाइन से कुल 600 गांव व सात कस्बों में रोजाना 300 एमएलडी पानी व झिराना-चाकसू पाइप लाइन से 984 गांव व तीन कस्बों में 300 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही है। इसी प्रकार अजमेर शहर सहित जिले के कुल 1100 गांव व नसीराबाद, ब्यावर, किशनगढ़, केकड़ी, सरवाड़, पुष्कर, विजयनगर आदि कुल आठ कस्बों में प्रति तीन दिन में 250 एमएलडी पानी सप्लाई किया जा रहा है। टोंक सहित देवली व उनियारा कस्बों व इससे जुड़े लगभग 436 गांव, 773 ढ़ाणीयों में रोजाना 17 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही है।
बांध एक नजर मेें- बीसलपुर बांध में कुल 18 गेट हैं जो 15/14 मीटर साइज में बने हैं। बांध लम्बाई 576 मीटर व समुद्रतल से ऊंचाई 322.50 मीटर है। बांध के कुल जलभराव में 68 गांव डूब चुके हैं जिसमें 25 गांव पूर्णरूप से व 43 गांव आंशिक रूप से डूब क्षेत्र में आते हैं। बांध का जलभराव क्षेत्र 25 किलोमीटर है जिसमें कुल 21 हजार 30 हैक्टयर भूमि जलमग्र होती है। बीसलपुर बांध से टोंक जिले में सिंचाई के लिए दायीं व बायीं दो मुख्य नहरों का निर्माण 2004 तक पूर्ण हुआ था। दायीं नहर की कुल लम्बाई 51 किलोमीटर व बायीं की लम्बाई 18.65 किलोमीटर है। जिनसे जिले की 81 हजार 800 हैक्टयर भूमि सिंचित होती है। बांध की दायीं मुख्य नहर से 69 हजार 393 हैक्टयर व बायीं से 12 हजार 407 हैक्टयर भूमि पर सिंचाई कार्य होता है। बांध से अब तक 2004, 2005, 2006, 2007, 2011 से 2017 तक लगातार सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जा चुका है। इस वर्ष मानसून की बैरूखी के चलते बांध का गेज गुरूवार को 308.90 आर एल मीटर है जिसमें 7.8 टीएमसी पानी बचा हुआ है जो कुल जलभराव क्षमता का बीस प्रतिशत पानी शेष बचा हुआ है।