- बांध परियोजना
बांध का 1985 में हुआ था शिलान्यास
1987 में बांध का शुरू हुआ निर्माण
1996 में बांध बनकर तैयार
832 करोड़ रुपए आई लागत
315.50 आरएल मीटर कुल जल भराव क्षमता
38.708 टीएमसी पानी का होता है भराव
- अब तक चार बार बांध ओवरफ्लो
2004 में निर्माण के बाद पहली बार गेट खुले
2006 में दूसरी बार छलका बांध
2014 में तीसरी बार खोले गए गेट
2016 में भी बांध के खुले गेट - बांध का उद्देश्य
बांध का मुख्य उद्देश्य जयपुर, अजमेर में जलापूर्ति के साथ ही टोंक जिले में सिंचाई कार्य करना था। जिसमे 10.2 टीएमसी पानी पेयजल के लिए व 8 टीएमसी पानी सिंचाई के लिए रिजर्व रखा गया है। - बांध एक नजर में
बीसलपुर डेम में कुल 18 गेट हैं जो 15-14 मीटर साइज के बनाए गए हैं।
बांध की लंबाई 576 मीटर व समुद्रतल से उंचाई 322.50 मीटर है।
बांध का जलभराव क्षेत्र 25 किमी है जिसमें से कुल 21 हजार 30 हैक्टेयर भूमि जलमग्न रहती है।
बीसलपुर बांध से टोंक जिले में सिंचाई के लिए दायीं व बायीं दो मुख्य नहरों का निर्माण वर्ष 2004 में पूर्ण हुआ था।
दायीं नहर की लंबाई 51 व बायीं नहर की लंबाई 18.65 किमी है। जिनसे टोंक जिले की 81 हजार 800 हैक्टेयर भूमि सिंचित होती है।
दायीं मुख्य नहर से 69 हजार 393 हैक्टेयर व बायीं से 12 हजार 407 हैक्टेयर भूमि पर सिंचाई कार्य होता है।
अभी बांध का गेज 312.47 आरएल मीटर है जिसमे 19.909 टीएमसी पानी स्टोरेज है जो कुल जलभराव का क्षमता का 51.44 फीसदी है।
बांध में कई फीट मिट्टी भी भरी है।
अभी जयपुर शहर को रोजाना 500 एमएलडी से ज्यादा पानी सप्लाई हो रहा है। इसी से जुड़ी मालपुरा-दूदू पाइप लाइन से 600 गांव व सात कस्बों में भी रोजाना जलापूर्ति होती है। झिराना- चाकसू पाइप लाइन से 984 गांव व कुछ कस्बों में पानी की आपूर्ति की जाती है।
अजमेर शहर समेत 1100 से ज्यादा गांव, नसीराबाद, ब्यावर, किशनगढ़,केकड़ी, सरवाड़, पुष्कर, विजयनगर समेत 8 कस्बों में बांध से रोजाना जलापूर्ति होती है।
टोंक समेत देवली, उनियारा कस्बों व इससे जुड़े 436 से ज्यादा गांवों और 773 ढाणियों भी बांध से रोजाना जलापूर्ति होती है।
- इन जिलों से बांध में बारिश के पानी की आवक
टोंक, अजमेर ,भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ व राजसमंद