पिछले मानसून में छलका बीसलपुर बांध इस बार भी उम्मीद जगाए हुए हैं। इसी उम्मीद के चलते मत्स्य पालकों ने 300 नाव तैयार कर रखी हैं, ताकि जमकर मछली निकाली जा सके।
पिछले मानसून में छलका बीसलपुर बांध इस बार भी उम्मीद जगाए हुए हैं। इसी उम्मीद के चलते मत्स्य पालकों ने 300 नाव तैयार कर रखी हैं, ताकि जमकर मछली निकाली जा सके।
जयपुर। पिछले मानसून में छलका बीसलपुर बांध इस बार भी उम्मीद जगाए हुए हैं। इसी उम्मीद के चलते मत्स्य पालकों ने 300 नाव तैयार कर रखी हैं, ताकि जमकर मछली निकाली जा सके। हो भी क्यों ना, प्रदेश में मत्स्य पालन का ठेका भी सबसे महंगा इसी बांध में जो होता है।
बांध के कैटमेंट एरिया में बरसात की महर शुरू हो गई है और कहा जा रहा है कि इस बार भी बांध ओवरफ्लो होगा। बांध ओवरफ्लो होता है तो यह छठा मौका होगा कि बांध पर चादर चलेगी। पिछले मानसून की बात करें तो बांध के सभी गेट खोलने पड़ते थे। इस मानसून गेटों की सफाई हो चुकी है और सिंचाई विभाग तैयारी पूरी कर चुका है।
बीसलपुर बांध की कुल भराव क्षमता 315.50 मीटर है और वर्तमान में जलस्तर 313.46 मीटर पर है। बांध के भराव क्षेत्र में हुई हल्की बारिश के चलते कुछ सेंटीमीटर पानी की आवक हुई है और अब भराव क्षेत्र में बहने वाली त्रिवेणी में पानी बह निकला है। त्रिवेणी की ऊंचाई तीन मीटर होने पर बीसलपुर में पानी की आवक शुरू हो जाएगी।
उसके बाद बांध से जगी उम्मीद भी पूरी हो सकेगी। उधर, बांध पर मत्स्य पालन का ठेका लेने वालों ने अपनी 300 नाव तैयार कर ली है। बांध पर वर्ष 2004, 2006, 2014, 2016 और 2019 में चादर चल चुकी है। इस बार चादर चलती है तो जयपुर और अजमेर को जमकर पानी दिया जा सकेगा।
बीसलपुर बांध में एक साल मत्स्य पालन का ठेका छह करोड़ में दिया जा रहा है, जो प्रदेश के अन्य बांधों में सबसे महंगा है। इस बार अच्छी बरसात के चलते कई बांध छलक चुके हैं और मत्स्य पालकों में खुशी है, लेकिन गम इस बात का भी है कि मछुआरे कोरोना के चलते गांंव जा चुके हैं और मछली निकालने वाले नहीं है।
कहा तो यह जा रहा है कि एक-दो माह के भीतर मछुआरे आ जाएंगे और उसके बाद बांध से मछली निकालने का काम चालू होगा। बीसलपुर में करीब 500 परिवार मत्स्य पालन में लगे हैं और इस बार उनकी संख्या भी कोरोना के चलते कम हो गई है। हालाकि ठेकेदार ने 300 नाव तैयार कर ली हैं।
फैक्ट फाइल— बीसलपुर डेम — डेम का निर्माण कार्य शुरू— 1986—87 वर्ष — निर्माण कार्य पूरा— वर्ष 1999 — कमांड एरिया क्षेत्रफल —220 स्कवायर किलोमीटर — कैचमेंट एरिया — 27,836 स्कवायर किलोमीटर — 6 जिलों में कैचमेंट एरिया — उदयपुर, चित्तौड़,भीलवाड़ा,राजसमंद, टोंक, अजमेर — कब कब छलका डेम— वर्ष 2004,2006,2014,2016,2019 कब रहा न्यूनतम जलस्तर— वर्ष 2010 और 2019