आपको बता दें कि राजधानी जयपुर में पिछले साल से कटौती के साथ पेयजल आपूर्ति की जा रही है। वजह यह रही है कि बीसलपुर बांध पूरा नहीं भरने से कटौती के साथ जयपुर, अजमेर और टोंक को पानी दिया गया ताकि मानसून सीजन शुरू होने तक यहां कटौती के साथ प्यास बुझाकर जलसंकट की स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।
आपको बता दें कि नीति आयोग की रिपोर्ट में गिरते भूजल स्तर के मामले में जयपुर को खतरे के निशान पर माना गया है। शहर में ट्यूबवेलों की लगातार बढ़ रही संख्या से आगे भी भूजल स्तर में गिरावट आई है। आपको बता दें कि जयपुर जिले के 15 में से 14 ब्लॉक डार्कजोन में हैं। ऐसे में जलदाय विभाग बीसलपुर बांध और सरकारी नलकूपों से पानी लेकर पेयजल की आपूर्ति कर रहा है। हालांकि इस बार बांध में अच्छा पानी आने पर यह उम्मीद है कि बांध से अच्छी मात्रा में पानी मिलेगा। गर्मी के सीजन में जयपुर में बीसलपुर से कनेक्टेड क्षेत्र के लिए हर रोज 650 एमएलडी से ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है लेकिन कटौती के साथ पिछले कई महीनों से लोगों को जरूरत के हिसाब से पानी नहीं मिल पाया। जयपुर में पेयजल आपूर्ति का करीब आधे से ज्यादा पानी बीसलपुर से लिया जाता है। तब जाकर जयपुर की पेयजल मांग मुश्किल से पूरी हो पाती है। शहर का 30 फीसदी एरिया की लाखों की आबादी अभी तक बीसलपुर आपूर्ति से जुड़ी नहीं होने से यहां पेयजल संकट की स्थिति ज्यादा खराब है।
राजधानी में सूख रही धरती
—राजधानी जयपुर में कुल 15 ब्लॉक
—इनमें 14 ब्लॉक अतिदोहित
—एक ब्लॉक है क्रिटिकल
—आमेर, बैराठ, बस्सी, चाकसू, दूदू अतिदोहित ब्लॉक
—गोविंदगढ़, जालसू, जमवारामगढ़, झोटवाड़ा भी अतिदोहित ब्लॉक
—कोटपूतली, पावटा, सांभर, सांगानेर, शाहपुरा भी अतिदोहित श्रेणी में शामिल
—फागी ब्लॉक क्रिटिकल श्रेणी में शामिल