यहां लिग्नाइट के भंडार
प्रदेश में बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, नागौर, पाली में लिग्नाइट के भंडार हैं।
इसलिए लिग्नाइट पर फोकस
कोयले की लगातार कमी है और केन्द्र सरकार का राज्यों पर विदेश से कोयला आयात करने का दबाव है। इससे आर्थिक भार भी बढ़ रहा है। इसी कारण सरकार का फोकस अब लिग्नाइट पर हो गया है।
गिरल लिग्नाइट थर्मल पावर प्लांट
30 प्रतिशत तक ही बिजली उत्पादन
प्लांट से व्यावसायिक उत्पादन 2008 में शुरू किया गया। राजस्थान विद्युत नियामक आयोग के मानदंड के अनुसार प्लांट की कुल उत्पादन क्षमता के अनुपात में 75 प्रतिशत बिजली उत्पादन नहीं होता है तो उस इकाई को घाटे में माना जाता है। गिरल प्लांट में 2009 से 2016 के बीच 15 से 30 प्रतिशत तक ही बिजली उत्पादन होता रहा।
घाटे की जिम्मेदारी भी हो तय
अब तक 1300 करोड़ से ज्यादा घाटा (संचित नुकसान) हो चुका है। फ्यूल सरचार्ज के नाम पर जनता की जेब से भी करोड़ों वसूल लिए गए। इसके बावजूद किसी की सीधी जिम्मेदारी तय नहीं की गई। 2016 में बंद हुआ था बिजली उत्पादन कोयले की कमी और विदेशी कोयले से आर्थिक भार बढ़ने पर सरकार का लिग्नाइट पर फोकस
फैक्ट फाइल
● प्लांट क्षमता : 125-125 मेगावाट के 2 प्लांट
● प्रोजेक्ट लागत : यूनिट एक- 764 करोड़ और यूनिट दो- 750 करोड़ रुपए
● जमीन : 661.25 बीघा
● विद्युत उत्पादन हुआ : 3211.27 मिलियन यूनिट (2009 से 2016 के बीच)