सांगानेर विधानसभा क्षेत्र जयपुर की स्थापना बाद में हुई, लेकिन सांगानेर उससे भी काफी पुराना है। यहां अलग तहसील, उपखंड मुख्यालय और कोर्ट जैसी सुविधाएं हैं, लेकिन सामान्य सुविधाओं के लिए लोग जयपुर पर ही निर्भर हैं। इनमे शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, अच्छी सड़कों की सुविधाएं शामिल हैं। सांगानेर क्षेत्र में श्योपुर, भांकरोटा, दुर्गापुरा और महेश नगर के भी कुछ हिस्से भी शामिल हैं। विधायक का दावा है कि रिफाइनरी जैसे विकास कार्यों को छोड़ दें तो सांगानेर जितना खर्च प्रदेश के किसी विधानभा क्षेत्र में नहीं हुआ। पिछली बार यहां से कांग्रेस के संजय बापना को तिवाड़ी ने 50 हजार से अधिक मतों से हराया। उससे पहले कांग्रेस के सुरेश मिश्रा को भी तिवाड़ी ने भारी अंतर से हराया।
कॉलेज और बड़ा अस्पताल नहीं सांगानेर में आजादी के 6 दशक बाद तक भी सरकारी कॉलेज नहीं है। यहां के लोगों का स्वास्थ्य पहले भी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के भरोसे ही था। आज भी उसी को बड़ा अस्पताल यहां माना जा रहा है।
सड़कें खस्ताहाल मानसरोवर का बड़ा क्षेत्र भी इसी विधानसभा का हिस्सा है, लेकिन दोनों ही क्षेत्रों में सड़कें खस्ताहाल हैं। यहां आज भी एक भी बड़ा बस अड्डा नहीं है। सांगानेर रेलवे स्टेशन पर ज्यादातार ट्रेनें नहीं रूकती।
आमने-सामने सांगानेर क्षेत्र में पिछले पांच सालों में जितना काम हुआ, उतना रिफाइनरी वाले इलाकों को छोड़कर किसी विधानसभा क्षेत्र में नहीं हुआ। 742 करोड़ से अधिक के काम अब तक हो चुके हैं, जो कहीं नहीं हुए।
सांगानेर जयपुर का नजदीकी क्षेत्र है। लेकिन पांच सालों के दौरान यहां विकास न के बराबर है। पूरे पांच साल भाजपा विधायक अपनी ही सरकार के खिलाफ खड़े रहे, जनता की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया।
डीग-कुम्हेर (भरतपुर) के क्षेत्रों की हालत जिले की ये इकलौती सीट थी, जो पिछले चुनाव में कांग्रेस के खाते में गई थी। 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सामान्य सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी विश्वेंद्र सिंह ने जीत दर्ज की थी। जबकि दूसरे नंबर पर भाजपा के डॉ. दिगंबर सिंह रहे थे। डीग व कुम्हेर ब्लॉक में शिक्षकों के 353 पद पद वर्ष २००८ में खाली थे। यह संख्या आज भी 186 है। डॉक्टरों की सर्वाधिक कमी डीग में है। अपराध के आंकड़े यहां वर्ष 2008 के बाद 14 प्रतिशत बढ़े हुए दर्ज किए गए हैं। यह आंकड़ा खुद पुलिस के वार्षिक रिकॉर्ड का है। हालांकि अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी पूरी हुई है, लेकिन मरीज कतारों से परेशान हैं। चंबल प्रोजेक्ट पूरा नहीं होने से लोगों को पेयजल दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
आज भले ही वो व्यक्ति नहीं हैं, लेकिन यहां पिछले 50 साल के इतिहास में विकास ही डॉ. दिगंबर सिंह ने सर्वाधिक कराया है। रही बात सरकार की तो सरकार ने समान भाव से राशि स्वीकृत कर काम कराए।