बताया जा रहा है कि 29 फरवरी की राजस्थान विधानसभा में सेमिनार का आयोजन किया गया था। इस सेमिनार में राज्यसभा के उपसभापति भी शाम हुए थे। इस सेमिनार में दल बदल कानून को लेकर चर्चा हुई थी। साथ ही बीजेपी ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी जिसमें देरी हुई। साथ ही लीगल राय लेने के बाद ये कदम उठाया गया है। भाजपा विधायक मदन दिलावर ने ये याचिका लगाई है।
भाजपा अध्यक्ष पूनिया का कहना है कि 52वें संवैधानिक संशोधन के मुताबिक दल बदल कानून के तहत जब तक कम से कम दो तिहाई सदस्य अथवा पूरी पार्टी का किसी दूसरी पार्टी में विलय नहीं होता है, तब तक दल बदल कानून के मुताबिक नहीं होने के कारण किसी भी जनप्रतिनिधि का दल बदलना असंवैधानिक होता है। उल्लेखनीय है कि 6 सितंबर 2019 को राजस्थान बसपा के 6 विधायकों, राजेंद्र सिंह गुढ़ा, जोगिंदर सिंह अवाना, वाजिब अली, लाखन सिंह मीणा, संदीप यादव और दीपचंद खेरिया ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी। इससे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री रहते हुए अशोक गहलोत ने साल 2008 में भी राजस्थान में जीतकर बसपा के सभी 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर लिया था, जिसका मामला लंबे समय तक कोर्ट में चला।
अमित शाह हो चुकी है चर्चा भाजपा सूत्रों का कहना है कि इस प्रकरण को लेकर कुछ दिन पहले ही राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने गृहमंत्री और पूर्व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से भी मुलाकात करके चर्चा की है। मजेदार बात यह है कि सितंबर से लेकर अब तक भाजपा इस मामले को लेकर पूरी तरह से नींद में थी। पिछले रविवार को हुई विधानसभा के सेमिनार में यह चूक पकड़ में आई और उसके बाद पार्टी ने इसके खिलाफ तुरंत प्रभाव से एक्शन लेने पर विचार किया।