पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस पूरे मामले में भाजपा एकजुट नजर आई। लगातार विरोधाभासी बयानबाजी के चलते पार्टी में दो गुट साफ तौर पर नजर आए। यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी विधायकों ने प्रदेश नेतृत्व पर राजे को दरकिनार करने तक के आरोप लगाए। रालोपा सांसद हनुमान बेनीवाल और पायलट की ओर से राजे को लेकर की गई बयानबाजी पर पूर्व विधानसभाध्यक्ष कैलाश मेघवाल, पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी ने भी मोर्चा खोला था। कई विधायकों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष से शिकायत भी की थी। इन सभी वजहों की तह में जाने के लिए राव जयपुर आ रहे हैं।
दिल्ली में राजे, बदल गए समीकरण पूरे सियासी प्रकरण पर वसुंधरा राजे की चुप्पी भी चर्चा का विषय रही। एक—दो बार उन्होंने ट्वीट के जरिए जरूर विरोधियों पर हमला बोला। हालांकि कुछ दिनों से राजे दिल्ली में है। उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बीएल संतोष और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात भी की थी। उन्होंने विधायकों को शिफ्ट करने और खुद पर लगे आरोपों पर नाराजगी भी जताई थी। राजे की इस बात को लेकर भी आपत्ति थी कि उन पर लगे आरोपों पर प्रदेश नेतृत्व ने बचाव नहीं किया। इसी दौरान राजस्थान में सियासी समीकरण भी बदले और पायलट गुट वापस पार्टी में लौट आया है।