तिवाड़ी ने पत्र में कहा कि सरकार ने भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए दंड विधियां (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2017 को विधानसभा में लेकर आई। इस काले कानून का भारी विरोध था, इसके बावजूद राज्यपाल ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए। हालांकि अब यह अध्यादेश रद्द हो चुका है और विधेयक विधानसभा में लंबित है। तिवाड़ी ने राज्यपाल से मांग की है कि वे इस विधेयक को निरस्त करें और अभिभाषण में भी इसकी निंदा करें।
इसके अलावा उन्होंने मौजूदा मुख्यमंत्री पर अपने हितों को साधने के लिए विधानसभा का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वेतन संशोधन विधेयक 2017 को पारित करवा कर सिविल लाइंस स्थित बंगला नंबर 13 को अजीवन खुद के पास रखने की व्यवस्था कर ली है। यह अलोकतांत्रिक है और सामंती व्यवस्था को स्थापित करने का प्रमाण है। उन्होंने इसके अलावा कई अन्य मामलों में राज्यपाल से दखल देने की मांग की है।
सरकार ने की जनहित की अनदेखी
विधायक घनश्याम तिवाडी ने आरोप लगाया कि पिछले चार साल में सरकार ने एसआईआर बिल, भ्रष्टाचार की खुली लूट, भर्तियों का अदालतों में फंसना, खान घोटाला, वंचित वर्ग आरक्षण विधेयक को लटकाना, पीपीपी मोड पर राज्य की संपदा को निजी लोगों को सौंप कर खुर्द—बुर्द करना, मेट्रो के नाम पर विरासत को दांव पर लगाना, हिंगोनिया गौशाला में हजारों गायों की मौत, जयपुर की जनता की आस्था के प्रतीक मंदिरों को तोडना, मुख्यमंत्री की ओर से जातीय आधार पर बैठकें करना, समाज को जातियों में बांटना समेत कई अन्य जनहित के मुददों की अनदेखी की गई है।
विधायक घनश्याम तिवाडी ने आरोप लगाया कि पिछले चार साल में सरकार ने एसआईआर बिल, भ्रष्टाचार की खुली लूट, भर्तियों का अदालतों में फंसना, खान घोटाला, वंचित वर्ग आरक्षण विधेयक को लटकाना, पीपीपी मोड पर राज्य की संपदा को निजी लोगों को सौंप कर खुर्द—बुर्द करना, मेट्रो के नाम पर विरासत को दांव पर लगाना, हिंगोनिया गौशाला में हजारों गायों की मौत, जयपुर की जनता की आस्था के प्रतीक मंदिरों को तोडना, मुख्यमंत्री की ओर से जातीय आधार पर बैठकें करना, समाज को जातियों में बांटना समेत कई अन्य जनहित के मुददों की अनदेखी की गई है।